लंदन: आमतौर पर लोग सेल्फी लेना और उसे शेयर करना पसंद करते हैं लेकिन एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि कोई और अपनी सेल्फी सोशल मीडिया पर डालें तो लोगों को ये बात रास नहीं आती है.
किसने की रिसर्च-
जर्मनी में लुडविंग मैक्सीमिलियन यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख एलएमयू के शोधकर्ताओं ने लोगों के सेल्फी लेने और उसे देखने के लोगों के इरादे और निर्यण को जानने के लिए ऑनलाइन सर्वे किया. जिसमें आस्ट्रिया, जर्मनी और स्विट्जरलैंड के कम से कम 238 लोगों को शामिल किया गया.
क्या कहती है रिसर्च-
शोधकर्ताओं ने पाया कि 77 प्रतिशत लोग नियमित तौर पर सेल्फी लेते हैं और अपनी सेल्फी को दूसरे के मुकाबले ज्यादा बेहतर मानते हैं.
लोग क्यों लेते हैं सेल्फी-
एलएमयू में प्रोफेसर साराह डाइफेनबाच कहती हैं कि खुद के प्रचार के लिए, अपने सकारात्मक पहलुओं को ही दर्शकों को दिखाना या लोगों को अपने निजी क्षणों को दिखाना और उनकी सहानुभूति बंटोरना, सेल्फी लेने के मेन कारण हो सकते हैं.
रिसर्च के नतीजे-
इस शोध की दिलचस्प बाद यह भी है कि 77 प्रतिशत लोग नियमित तौर पर सेल्फी लेने के बावजूद 62 से 67 प्रतिशत लोग सेल्फी के संभावित नकारात्मक परिणामों से सहमत दिखे. सेल्फी के इस नकारात्मक परिणामों की आशंका से 82 प्रतिशत लोग भी सहमत दिखे. उन्होंने कहा कि वह सोशल मीडिया में सेल्फी की बजाए दूसरी तरह की फोटो देखना पसंद करते हैं.
यह अध्ययन जनरल फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.