सिखों पर चुटकुले आखिर क्यों बनते हैं, इस पर प्रतिबंध लगाया जाए, सुप्रीम कोर्ट में इस मांग के साथ दायर की गई याचिका पर सर्वोच्च अदालत ने कहा, ऐसा करना उनके बस में नहीं है. हालांकि कोर्ट ने ये जरूर कहा कि अगर किसी को आपत्ति है तो वह कानून के अनुसार केस दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालतें नागरिकों के लिए नैतिक दिशा—निर्देश नहीं बना सकतीं. हम लोगों के व्यक्तिगत व्यवहार के संबंध में कोई दिशा—निर्देश जारी नहीं कर सकते. हालांकि कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को भी करेगी.
गौरतलब हो कि सिख चुटकुलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली की 54 वर्षीय सिख वकील, हरविंदर चौधरी ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी। मंगलवार को उच्च अदालत ने सुनवाई करते हुए कहा कि ये बेहद मुश्किल है कि किसी समुदाय विशेष के लिए गाइडलाइन बनाई जाए। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को जोक्स से आपत्ति है तो वो कानून के हिसाब से केस दर्ज करा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज अगर हम किसी धर्म या जाति विशेष पर कोई दिशा निर्देश जारी करते हैं तो कल को कोई दूसरी जाति या धर्म भी यही मांग लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाएगी. हंसी पर कोई नियंत्रण नहीं है। कोई हंसता है, कोई नहीं हंसता’.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इंटरनेट पर हजारों ऐसी वेबसाइट हैं जो सिखों के नाम पर चुटकुले बेचती है और इसमें उनको बुद्धू, पागल, मूर्ख, बेवकूफ़, अनाड़ी, अंग्रेज़ी भाषा की अधूरी जानकारी रखने वाला बताया गया है।