भौम अमावस्या शनि जयंती पर विशेष अंगारक योग, सारे दोष होंगे दूर, करें ये उपाय …!


ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस बार शनि अमावस्या 15 मई, मंगलवार को है। इस दिन आमवस्या तिथि व रोहिणी नक्षत्र के मेल से बना यह अत्यंत दुर्लभ योग एक दशक बाद विद्यमान हो रहा है। इस योग में चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृष में होगा तथा रात्रि में 09 बजकर 55 मिनट के बाद पर अपने सबसे प्रिया नक्षत्र रोहिणी को भी भोगेगा। संयोग से इस वर्ष शनि जयंती-भौमवती अमावस्या एकसाथ है। इस दिन सूर्य, चंद्र, मंगल व बुध एक साथ वृष राशि में रहेंगे, जो शनि से समसप्तक एवं राहू से नवपंचम योग बनाएंगे। शनि उपासना करने से साड़ेसाती व ढय्या प्रभावित लोगों को राहत मिलेगी।
ऐसा सुंदर दुर्लभ योग अनेको वर्षों बाद आता है। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग है। साथ ही वटसावित्री अमावस्या और सोमवती अमावस्या का संयोग भी है। इतने सारे योग में मनने वाला शनि जन्मोत्सव इस बार उन लोगों के लिए खास होगा जो शनि की साढ़ेसाती, शनि के ढैया या जन्मकुंडली में शनि की महादशा, अंतर्दशा या शनि की खराब स्थिति के कारण पीड़ित चल रहे हैं। वे लोग इस खास योग में आ रही शनि जयंती पर शनि को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य करें, उनकी समस्त पीड़ा शांत होगी।
इस दिन पर शनिदेव की पूजा करने पर शनि भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है, इसलिए इस दिन देश के शनि मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग की भी निष्पत्ति हो रही है।
मंगलवार को अमावस्या होने के कारण शनि जयंती का महत्व और अधिक बढ़ गया है। भौमवती अमावस्या मंगलवार को होने के कारण महंगाई बढ़ेगी साथ ही प्राकृतिक आपदा से जन धन की हानि संभावित है। साथ ही अपराध में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं।
शनि जयंती के साथ अमावस्या का शुभ संयोग, अंगारक योग, शनि की साढ़े साती, विष योग, ग्रहण दोष एवं पितृ दोष की शांति के लिए विशेष शुभ फलकारी रहेगा।

आइए जानते हैं शनिदेव की पूजा करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

प्रथम शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में आ रही अमावस्या
अमावस्या मंगलवार के दिन भरणी नक्षत्र, शोभन योग, चतुष्पद करण तथा मेष राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस साल ज्येष्ठ मास अधिकमास भी है। इसलिए प्रथम शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में आ रही अमावस्या का खास महत्व है। इस दिन सुबह 10.57 बजे से सर्वार्थसिद्धि योग की शुरुआत होगी। इसका प्रभाव दिवस पर्यंत रहेगा। इस दिव्य योग की साक्षी में शनिदेव की आराधना जातक को विशिष्ट शुभफल प्रदान करेगी।
वर्त्तमान समय में मेष व सिंह राशि पर शनि की ढय्या चल रही है। वहीं तुला, वृश्चिक व धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। 18 मई को भी शनि जयंती है लेकिन इस दिन सुबह 9.45 बजे तक ही अमावस्या है क्योंकि सूर्योदय कालीन तिथि अमावस्या पड़ रही है अत: शनि जयंती सोमवार 18.05.15 को ही मनाई जायेगी।

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न

शनिदेव की प्रतिमा अथवा चित्र को गंध, काले तिल, तिल का तेल, उड़द, काला कपड़ा व तेल से बने व्यजंन चढ़ाएं। कांसे की कटोरी में सरसों का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर छाया दान करें। शनिदेव की नीले रंग जैसे की मन्दाकिनी, नीले कनेर व अपराजिता के फूलों से पूजा करें। शनिदेव को उड़द व गुड़ से बने सरसों के तेल में तले हुए मीठे पकौड़ों का भोग लगाएं। हकीक की माला या सातमुखी रुद्राक्ष माला से शनि मंत्र का जाप करें। काली गाय, काले कुत्तों, भैंस, कागलों व मछलियों को उड़द व गुड़ से बने पकवान खिलाएं।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का करें ये उपाय

भक्त हमेशा शनिवार के दिन हनुमानजी के दर्शन और उनकी पूजा करता है शनिदेव कभी भी अपनी खराब दृष्टि उन भक्तों पर नहीं डालते हैं।
शनि की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करना चाहिए। शनि अमावस्या के दिन अगर संभव हो सके तो अपनी यात्रा को टाल देना चाहिए।
शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से बैर रखते है इसलिए संभव हो इस दिन सूर्यदेव की पूजा नहीं करना चाहिए। शनि पूजा के दिन ब्रह्राचर्य का पालन करना चाहिए और काली वस्तुओं का दान करना चाहिए।
जब भी शनिदेव की प्रतिमा या तस्वीर के दर्शन करें तो इस बात का ध्यान रखें कि उनकी आंखों में आंख डाल कर उन्हें न देखें। हमेशा शनिदेव के चरणों के दर्शन करना चाहिए।
शनिवार और शनि अमावस्या के दिन गरीबों और असहायों की सेवा करना चाहिए। साथ उन्हें कुछ दान देना शुभ माना जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here