विज़न 2020 न्यूज: उत्तराखंड पंचायत राज विधेयक को मंजूरी के बाद प्रशासन की तरफ से इसके नियमावली को अंतिम रूप दिया जा रहा है। अब तय हो गया है कि राज्य में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव इसी अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक संपन्न कराए जाएंगे। उत्तराखंड में अभी तक उत्तर प्रदेश का ही पंचायत एक्ट कुछ संशोधनों के साथ चल रहा है। नए अधिनियम में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए कई सख्त प्रावधान कर दिए गए हैं। जैसे आंगनबाड़ी, सहकारी समिति के सचिव एवं वेतनभोगी कर्मचारी तथा राज्य एवं केंद्र पोषित योजनाओं के अंतर्गत मानदेय पर कार्यरत कर्मचारी अब पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। जिनके घरों में शौचालय नहीं, वे भी पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होंगे। विधेयक में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत या जिला पंचायत में निर्वाचित महिला जनप्रतिनिधि के स्थान पर अगर उसका पति या परिवार का सदस्य पंचायत की बैठकों में दखल देता है तो उसपर भी सख्ती बरती जाएगी। ऐसे मामले में दोष साबित होने पर वह महिला और महिला के स्थान पर पंचायत के कार्य में दखल देने वाला, दोनों ही अगले पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित हो जाएंगे। विधेयक के तहत ये सभी प्रावधान त्रिस्तरीय पंचायतों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य, सभी पदों पर चुनाव लड़ने वालों पर भी लागू होंगे।