बेंगलुरु – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के रूप में डॉ वी नारायणन ने कार्यभार संभाल लिया है। उन्होंने एस सोमनाथ की जगह यह पद ग्रहण किया है। ISRO ने एक बयान में कहा, “प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ वी नारायणन ने अंतरिक्ष विभाग के सचिव, अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और ISRO के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला है।”
डॉ नारायणन ने इससे पहले ISRO के ‘लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर’ (LPSC) के निदेशक के रूप में कार्य किया। LPSC भारत के प्रक्षेपण यानों और अंतरिक्ष यानों के प्रणोदन प्रणालियों के विकास के लिए जिम्मेदार प्रमुख केंद्र है। उन्होंने भारत के महत्वाकांक्षी ‘गगनयान’ मिशन के लिए राष्ट्रीय स्तर के ह्यूमन रेटेड सर्टिफिकेशन बोर्ड (HRCB) के अध्यक्ष के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शैक्षिक और प्रोफेशनल पृष्ठभूमि
डॉ नारायणन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम.टेक और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। एम.टेक में प्रथम रैंक प्राप्त करने के कारण उन्हें रजत पदक से सम्मानित किया गया था। 2018 में उन्हें IIT खड़गपुर द्वारा ‘डिस्टिंग्विशड एलमनोई अवार्ड’ और 2023 में ‘लाइफ फेलोशिप अवार्ड’ से नवाजा गया।
ISRO में शामिल होने से पहले उन्होंने टीआई डायमंड चेन लिमिटेड, मद्रास रबर फैक्टरी और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) में भी कार्य किया। ISRO ने बताया कि जब भारत को जीएसएलवी एमके-ll के लिए क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी नहीं मिल पाई, तब नारायणन ने खुद इंजन प्रणालियों का डिजाइन तैयार किया और परीक्षण केंद्रों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों में योगदान
नारायणन ने भारत के चंद्र मिशन में भी अहम भूमिका निभाई। चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 के लिए उन्होंने एल-110 लिक्विड स्टेज, सी25 क्रायोजेनिक स्टेज और प्रणोदन प्रणालियों के निर्माण का नेतृत्व किया। इसके अलावा, उन्होंने पीएसएलवी C57/आदित्य एल1 मिशन के लिए प्रणोदन प्रणालियों को तैयार करने में भी योगदान दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत सूर्य का अध्ययन करने वाला चौथा देश बन गया।
नारायणन ने वीनस ऑर्बिटर, चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) जैसे आगामी मिशनों के लिए भी प्रणोदन प्रणालियों का मार्गदर्शन किया है।
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