आप किसी रेस्तरां या होटल में जाते हैं और वहां सेवाओं से संतुष्ट नहीं होते हैं तो बिल चुकाते समय आप सर्विस चार्ज देने से मना कर सकते हैं.
सर्विस टैक्स वो है जो सर्विस देने पर सरकार टैक्स लगाती है और सर्विस चार्ज वो जो रेस्त्रां या होटल लगाता है. सर्विस टैक्स सरकार के खजाने में जाता है और सर्विस चार्ज वसूलने वाले की जेब में. सर्विस टैक्स की प्रभावी दर बिल की 6 फीसदी है जबकि सर्विस चार्ज 5 से 20 फीसदी तक लगाया जाता है.
सरकार ने राज्य सरकारों से कहा है कि इस बारे में कंपनी, होटल और रेस्त्रां को जानकारी दी जाए. साथ ही साफ-साफ बोर्ड लगा कर बताया जाए कि सर्विस चार्ज वैकल्पिक है, यानी अगर ग्राहक चाहे तो बिल से हटवा सकता है. अगर इसके बाद भी कोई धोखे से सर्विस चार्ज वसूलता है तो उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 के प्रावधानों के तहत इस बारे में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है.