देहरादून- प्रदेश में फिर एक बार लोकायुक्त के गठन कों लेकर सियासत गर्म हो गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन की कार्रवाई का बहिष्कार करने वाली कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को लोकायुक्त के गठन के बारे में सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होनें कहा कि 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा एक सशक्त लोकायुक्त का गठन किया गया था लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में आते ही इसे निरस्त कर दिया। उनके सत्ता में आने से पहले सूबे में कांग्रेस की ही सरकार थी। कांग्रेस अपने पांच साल के कार्यकाल में लोकायुक्त को अस्तित्व में क्यों नहीं ला सकी? आज जो नेता हंगामा कर रहे हैं उन्हें भी इस सवाल का जवाब देना चाहिए, कि उन्होनें पांच साल में भ्रष्टाचार को रोकने और लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर क्या किया था?
आपको बता दे कि बीते कल विधानसभा सत्र के अंतिम दिन कांग्रेस द्वारा काम रोको प्रस्ताव लाकर लोकायुक्त पर नियम 310 के तहत चर्चा की मांग की गयी थी, जिसे स्वीकार द्वारा न किये जाने पर उसने सदन की कार्रवाई पर बहिष्कार किया था। नेता विपक्ष इंदिरा हृद्येश का कहना था कि जब सूबे में सरकार भाजपा की ही है कार्यमंत्रणा समिति भाजपा की है तो फिर दिक्कत क्या है? सरकार ने खुद ही सदन में लोकायुक्त बिल पेश किया था, जिसे विपक्ष की बिना किसी आपत्ति के ही प्रवर समिति को सौंप दिया गया। अब सरकार कह रही है कि कार्यमंत्रणा समिति फैसला करेगी। उनका कहना है कि हम तो सरकार की मंशा जानना चाहते हैं कि भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की बात करने वाले लोकायुक्त का गठन क्यों नहीं कर रहे हैं?