सतपाल महाराज भी कुर्सी की दौड़ में है
सतपाल महाराज गढ़वाल से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे हैं. पंद्रहवीं लोकसभा में सतपाल महाराज कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचने में सफल रहे थे. लेकिन अब सतपाल महाराज कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. लोकसभा चुनाव 2014 के ठीक पहले सतपाल महाराज ने बीजेपी का दामन थामा था.

हालांकि सतपाल महाराज लोकसभा चुनाव के वक्त उम्मीदवार तो नहीं बने लेकिन उन्होंने अपने सभी समर्थकों  के साथ बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की पूरी कोशिश की थी. जिसका चुनावों में बीजेपी को फायदा हुआ था. इस बार सतपाल महाराज चौबतखाल क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण सतपाल महाराज की दावेदारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद को लेकर बहुत ज्यादा बढ़ गई है. जातीय गणित के मुताबिक वर्तमान में बीजेपी के राज्य अध्यक्ष अजय भट्ट ब्राह्मण हैं और कुमाऊं से आते हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के गढ़वाल से ठाकुर होने की संभावना के तहत सतपाल महाराज और त्रिवेन्द्र रावत फिट बैठते हैं.

उत्तराखंड राज्य के चुनावी परिणाम भी सामने आ चुके हैं. पीएम मोदी के करिश्मे की वजह से बीजेपी ने 70 सीटों में से 57 सीटें जीत ली हैं. ऐसे में अब तक देखा गया है कि राज्य में मुख्यमंत्री उम्मीदवार ऊपर से ही थोपे जाते रहे हैं. बीजेपी भी इस मामले में जुदा नहीं है. इस बीच बीजेपी की ओर से सतपाल महाराज और त्रिवेंद्र रावत नामक दो दावेदारों के नाम मजबूती से सामने आ रहे हैं.

सूत्रों के हवाले से आने वाली खबरों पर विश्वास करें तो संघ के करीबी त्रिवेंद्र रावत को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. वे बीजेपी अध्यक्ष के नजदीकी होने के साथ-साथ झारखंड के प्रभारी भी हैं. त्रिवेंद्र रावत डोईवाला सीट से जीते हैं. उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हीरा सिंह बिष्ट को हराया है. उनकी छवि बेदाग मानी जाती है. इसीलिए माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें एक मौका दे सकती है, ताकि राज्य में एक सशक्त सरकार बनाई जा सके.

 

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