देहरादून : देहरादून में एक दिसंबर को मस्जिद के खिलाफ प्रस्तावित महापंचायत को प्रशासन ने शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सशर्त अनुमति दे दी है। उपजिलाधिकारी भटवाड़ी, मुकेश चंद रमोला ने देवभूमि विचार मंच की ओर से आयोजित महापंचायत के आयोजन को अनुमति देने की जानकारी दी। इसके साथ ही प्रशासन ने मस्जिद मोहल्ला के 50 मीटर दायरे में शनिवार सुबह से अग्रिम आदेशों तक निषेधाज्ञा (धारा 163) लागू करने की घोषणा की है।
महापंचायत के आयोजन को 15-16 शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है, जिनमें हेट स्पीच से बचने, रैली न निकालने, ट्रैफिक बाधित न करने, धार्मिक भावना नहीं भड़काने, शांति व्यवस्था बनाए रखने सहित अन्य शर्तें शामिल हैं। यह आयोजन रामलीला मैदान में किया जाएगा, जबकि पहले बग्वाल वाले आयोजन स्थल को छोड़ने की शर्त रखी गई है।
निषेधाज्ञा के तहत मस्जिद मोहल्ला क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति लाठी, डंडा, चाकू, भाला या कोई अन्य धारदार हथियार या आग्नेय शस्त्र लेकर प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसके अलावा, पांच या उससे अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर भी पूर्णत: प्रतिबंध रहेगा। सांस्कृतिक और राजनीतिक किसी भी प्रकार के कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा सकेंगे। निषेधाज्ञा का उल्लंघन दंडनीय अपराध माना जाएगा।
देवभूमि विचार मंच के जिला संयोजक कीर्ति सिंह ने बताया कि उन्हें अभी लिखित अनुमति पत्र नहीं मिला है, लेकिन प्रशासन ने शनिवार को अनुमति पत्र दिए जाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि महापंचायत में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के प्रांतीय पदाधिकारी भी शामिल होंगे, जिनमें विहिप के प्रदेश संयोजक अनुज वालिया और बजरंग दल के अजय भी कार्यक्रम में शिरकत करेंगे।
इस आयोजन के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट में पहली बार मस्जिद मोहल्ला को “विवादित स्थल” या “विवादित ढांचा” लिखा गया है। इससे पहले प्रशासन के प्रेस नोट में इस स्थान को विवादित नहीं बताया गया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, अल्पसंख्यक सेवा समिति के इश्तियाक अहमद ने एतराज जताया है। उनका कहना है कि वक्फ संपत्ति पर की गई जांच में सभी अधिकारियों ने दस्तावेजों को वैध पाया था, और गजट नोटिफिकेशन भी जारी हुआ था। वे यह भी आरोप लगा रहे हैं कि प्रशासन दबाव में काम कर रहा है।