
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से एक ऐसी चैंकाने वाली घटना सामने आई है जिसके बाद आप सोचने को मजबूर हो जायेंगे कि क्या जाति-पाती का कीड़ा लोगों के भीतर इस हद तक है कि उसके आगे इंसानियत भी दम तोड़ती दिख रही है। बेहद शर्मनाक हे कि एक गर्भवती दलित महिला की केवल इसलिए पिटाई कर दी गई क्योंकि उसने अगड़े परिवार की बाल्टी को छू लिया था। बाल्टी को छूना उस दलित महिला को इतना भारी पड़ा कि उसकी सरे आम जानवरों की तरह पिटाई की गई और बड़ी बात यह है कि उस वक्त वो महिला गर्भवती थी। और पिटाई के 6 दिन बाद ही उसकी मौत हो गई, इस हादसे में ना केवल महिला की मौत हुई बल्कि पेट में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार, जब 8 महीने की गर्भवती महिला सावित्री देवी खेतलपुर भंसोली गांव में कचरा इकट्ठा कर रही थी। इस दौरान वह जब अगड़ी जाति की महिला अंजू के घर से कूड़ा इक्ट्ठा कर रही थी, तभी उसका बैलेंस बिगड़ गया, और उसने पास में ही रखी बाल्टी को छू लिया, जिसपर अंजू नाराज हो गई। अंजू ने इसके बाद सावित्री देवी की काफी पिटाई की, गर्भवती होने के बावजूद उसके पेट पर मारा, अंजू सावित्री देवी की पिटाई कर ही रही थी, तभी अंजू का बेटा रोहित भी आ गया और उसे मारने लगा।
स्थानीय निवासियों की मानें तो जब अंजू और उसका बेटा सावित्री देवी की पिटाई कर रहे थे, तब उसकी दूसरी बेटी दलित बस्ती में ही मदद मांगने के लिए आई, जब लोग घटना स्थल पर पहुंचे तब तक मां-बेटे उसकी पिटाई कर रहे थे। आपको बता दें कि सावित्री देवी कई घरों से कूड़ा उठाने का ही काम करती थी, इसके लिए उसे 100 रुपए प्रति माह मिलते थे. सावित्री देवी के पति दिलीप कुमार ने बताया कि जब वह उसे जिला अस्पताल में ले गया तो उसे भर्ती नहीं किया गया। क्योंकि ज्यादा खून नहीं बह रहा था, तो उन्होंने कहा कि वो बिल्कुल ठीक है, बाद में हम लोग घर आ गए।
दिलीप कुमार बोले कि जब उन्होंने अंजू और उसके बेटे से पत्नी की पिटाई का कारण पूछा तो उन्होंने उसे भी धमकी दी, उन्होंने बताया कि उसकी पहली पत्नी मलेरिया के कारण मर गई थी, और अब ये हादसा हो गया। पिटाई के 6 दिन बाद 21 अक्टूबर को जब एक बार फिर सावित्री देवी की तबीयत बिगड़ी तो उन्हें एंबुलेंस के जरिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर ली है, घटना के बाद से ही अंजू और उसका बेटा फरार है। बता दें कि इस गांव की आबादी काफी कम है, यहां पर लगभग 30 फीसदी आबादी दलित ही है, स्थानीय लोगों के अनुसार गांव में अक्सर अगड़ी जाति और दलितों के बीच लड़ाईयां होती रहती हैं।