दीवाली बीत गई है। मौका है छठ पूजा का। आज छठ पूजा का पहला दिन है। बड़े स्तर पर मनाए जाने वाले 4 दिन के इा त्यौहार में क्या कर क्या नी करे। ये हम आपको सब बताएगें।
क्यों होती है छठ पूजा–
शुरूआत में तो सिर्फ बिहार में ही छठ पूजा धूमधाम से मनाई जाती थी लेकिन अब इसका प्रसार बढ़ रहा है. बिहार में छठ का अपना विशेष महत्व है. दरअसल, बिहार में सूर्य देवता की पूजा करने की परंपरा रही है. इसी परंपरा को आगे ले जाते हुए छठ पूजा के दौरान लोग सूर्यदेव भगवान भास्कर को जल अर्पित करते हैं.छठ पूजा 4 नवंबर से 7 नवंबर तक चलेगी. इस महापर्व में छठ मइया के साथ-साथ भगवान भास्कार की पूजा का भी विशेष महत्व है.
अर्घ्य देने की परंपरा–
छठ पूजा के दौरान सुबह के समय गाय के दूध और शाम को गंगाजल के साथ अर्घ्य दिया जाता है. इतना ही नहीं, सूप या डाला पर अर्घ्य दिए बिना छठ पूजा पूरी नहीं होती.
अर्घ्य देते समय सावधानियां–
अर्घ्य देते हुए कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाता है जैसे तांबे के बर्तन में दूध से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
तांबे के बजाय पीतल के बर्तन में दूध डालकर अर्घ्य दिया जा सकता है.
स्टील, प्लास्टिक, कांच और चांदी के बर्तन से भी अर्घ्य ना दें.
तांबे के बर्तन से अर्घ्य दे सकते हैं लेकिन दूध डालकर नहीं.
ऐसे करें छठ पूजा–
छठ पूजा करने से पहले सुबह-सवेरे नहाएं और सफेद रंग के कपड़े पहनें. इसके बाद सूर्यदेवता को नमन करते हुए तांबे के बर्तन में फ्रेश पानी भरकर अर्घ्य दें.
मंदिर जाएं और वहां नवग्रह देवताओं को लाल चंदन, कुमकुम और चमेली के फूल अर्पण करें.
इसके बाद दीया जलाएं.
अपनी दुआएं मांगे.
‘ऊं सूर्याय नम’ मंत्रोच्चारण करते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं.
इसके बाद भगवान को नमन करते हुए मंत्रों का जाप करें.
छठ पूजा शुभ मुहूर्त और तारीख–
नहाय-खाए: 4 नवंबर 2016
खरना(लोहंडा): 5 नवंबर 2016
सायंकालीन अर्घ्य: 6 नवंबर 2016
सायंकालीन अर्घ्य का समय: शाम 5.10 बजे से शुरू
प्रात:कालीन अर्घ्य: 7 नवंबर 2016
प्रात:कालीन अर्घ्य का समय: प्रात: 6.13 बजे से शुरू
षष्ठी तिथि प्रारंभ: सुबह 10:47 बजे से, 5 नवम्बर 2016
षष्ठी तिथि समाप्त: दोपहर 12:16 बजे तक, 6 नवम्बर 2016