देहरादून। उत्तराखंड में साहित्यिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रतिभाओं की बहुलता है। इनके ज्ञान का लाभ उठाने के लिए उत्तराखंड में भी विधान परिषद का गठन होना चाहिए। यह मांग आंदोलनकारी सम्मान परिषद के पूर्व अध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप के हैं। एक विशेष भेंट में धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि उत्तराखंड में विधान परिषद का गठन समय की मांग है। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रचार समन्वयक धीरेन्द्र प्रताप का कहना है कि उत्तराखण्ड की इन विशिष्ठ प्रतिभाओं के ज्ञान का लाभ उन्हें विधान परिषद में लाकर किया जा सकता है। इससे उच्च सदन का सम्मान भी रहेगा और विशिष्ट लोगों की प्रतिभाओं का लाभ लिया जा सकेगा।
उपराष्ट्रपति एम वैंकय्या नायडू के हाल में इस सम्बन्ध में दिये गये वक्तव्य का पुरजोर समर्थन करते हुए धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि आवश्यक नीति निर्माण में संयुक्त विचार देने तथा सार्थक बहस के लिए इस प्रकार के सदन की महती आवश्यकता रहती है। उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में 7 राज्यों उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र में ही दो सदनों की व्यवस्था है, याने कि देश के एक चैथाई राज्यों में ही विधानसभा के साथ-साथ विधान परिषद का भी गठन किया गया है। अन्य राज्यों में विधानसभा जैसा चाहे वैसा विधेयक पास कर सकती है और विधानपरिषद की विशेषज्ञता का लाभ उन राज्यों को नही मिल रहा है। उन्होंने विधान परिषद गठन के संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत 18 सितम्बर से उत्तराखण्ड विधानसभा के शुरू होने वाले सत्र में राज्य सरकार से 2 तिहाई बहुमत से इस प्रस्ताव को पास कर संसद के समक्ष भेजने की मांग की है।