Doon-Delhi Expressway: उद्घाटन से पहले ही दून-दिल्ली एक्सप्रेसवे पर सड़क उखड़ गई। जहां पहाड़ काटकर सड़क बनाई वहां बारिश के कारण मलबा गिर रहा है।
Doon-Delhi Expressway: लंबे इंतजार के बाद तैयार हुआ दून-दिल्ली एक्सप्रेसवे अभी पूरी तरह शुरू भी नहीं हुआ और उस पर सवाल उठने लगे हैं। उत्तराखंड में जारी भारी बारिश का असर इस हाई-प्रोफाइल एक्सप्रेसवे पर साफ दिख रहा है। कुछ हिस्सों में सड़क की बजरी उखड़ गई, तो कहीं गहरे गड्ढे दिखाई देने लगे हैं। यही नहीं, जिन पहाड़ों को काटकर यह एक्सप्रेसवे बनाया गया, वे भी दरकने लगे हैं, जिससे सफर की राह और भी खतरनाक हो गई है।
उद्घाटन की प्रतीक्षा, लेकिन निर्माण पर उठे सवाल
दिल्ली-दून एक्सप्रेसवे पर निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। गणेशपुर से आशारोड़ी तक एलिवेटेड रोड का काम काफी पहले पूरा कर लिया गया था, लेकिन अभी तक इसे पूरी तरह से यातायात के लिए शुरू नहीं किया गया। उद्घाटन की तिथि दिल्ली से तय होनी है, जो अब तक नहीं मिल सकी।
फिलहाल, मोहंड में पुराने रास्ते के चलते केवल करीब दो किमी हिस्से को खोला गया है, लेकिन यही हिस्सा अब गड्ढों और दरारों से भर गया है। आशारोड़ी पुलिस चौकी के पास एलिवेटेड रोड पर 8 से अधिक जगहों पर सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी है। टनल के पास, जहां ‘उत्तराखंड में स्वागत’ की कलाकृति बनाई गई है, वहां भी गहरे गड्ढे नजर आए।
सहारनपुर के हिस्से में भी हालात चिंताजनक
एक्सप्रेसवे का बड़ा हिस्सा सहारनपुर क्षेत्र में आता है, और वहां भी सड़क उखड़ने और धंसने की खबरें हैं। बारिश के कारण काम में बाधा आ रही है, जिससे मरम्मत कार्य फिलहाल रुका हुआ है। विभाग का कहना है कि बारिश थमने के बाद गड्ढे भरे जाएंगे और भूस्खलन वाले हिस्सों के ट्रीटमेंट के लिए वन विभाग से बातचीत जारी है।
दरकते पहाड़ और गिरते पत्थर बनी नई चुनौती
एक्सप्रेसवे के कई हिस्से पहाड़ों को काटकर बनाए गए हैं। इन इलाकों में लगातार मलबा और पत्थर गिर रहे हैं, जिससे खतरा और बढ़ गया है। हालांकि एलिवेटेड रोड के पास सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं, लेकिन हालात के मुकाबले वे नाकाफी दिख रहे हैं। सोमवार को की गई मौके की पड़ताल में कई स्थानों पर सड़क पर मलबा जमा देखा गया।
आगे और बढ़ सकती हैं परेशानियां
विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों की मानें तो अगर समय रहते मजबूत रोकथाम और सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, तो भविष्य में यह एक्सप्रेसवे हादसों का कारण बन सकता है। विभाग का दावा है कि संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी की जा रही है और सुधारात्मक कदमों पर काम चल रहा है।