नैनीताल: नैनीताल हाईकोर्ट ने कालागढ़ डैम के आसपास बने भवनों को ध्वस्त किए जाने के डीएम पौड़ी के आदेश पर लगी रोक को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने शुक्रवार को डीएम पौड़ी के अदालत में पेश न होने पर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने उन्हें 11 फरवरी को पुनः तलब किया है, जिस दिन मामले की सुनवाई भी होगी।
मामले की पृष्ठभूमि
कालागढ़ विकास एवं उत्थान समिति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए बताया कि 1961 में कालागढ़ डैम बनाने के लिए वन विभाग ने सिंचाई विभाग को शर्तों के साथ करीब 22,000 एकड़ भूमि दी थी। शर्त यह थी कि डैम के लिए जरूरत भर की भूमि इस्तेमाल करने के बाद बची हुई जमीन वन विभाग को वापस कर दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और उस भूमि पर टाउनशिप बसा दी गई।
1999 में इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी, जिसमें कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। इसके बाद भी आदेश का पालन नहीं हुआ। दिसंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने केएन गोदावरन मामले में पुनर्वास और विस्थापन की व्यवस्था के साथ अतिक्रमण हटाने के लिए निर्देश दिए थे।
एनजीटी और स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई
2017 में यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में पहुंचा। स्थानीय प्रशासन ने एनजीटी को एक साल के भीतर अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया। इसके तहत 18 दिसंबर 2022 को डीएम ने नोटिस जारी कर 15 दिन के भीतर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया। 4 जनवरी 2023 को पुलिस की सुरक्षा में वहां भवन ध्वस्त कर दिए गए।
हाईकोर्ट की रोक
याचिकाकर्ता ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि प्रभावितों के पुनर्वास की व्यवस्था किए बिना उन्हें हटाया जा रहा है। हाईकोर्ट ने 7 जनवरी को डीएम के आदेश पर रोक लगाई और उन्हें कोर्ट में तलब किया। हालांकि, डीएम पेश नहीं हुए, जिससे कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर की।
अब 11 फरवरी को इस मामले की सुनवाई होगी, और डीएम को अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।
#HighCourt, #DMPauri, #Summons, #KalagarhDam, #Contempt