टोरंटो: कनाडा में हिंदू समुदाय के लोगों को मंदिर के बाहर खालिस्तानियों द्वारा निशाना बनाए जाने से भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव और बढ़ सकता है। कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग ने इस मुद्दे को लेकर एक बयान जारी किया है, जिसमें कनाडा की सरकार के सामने नाराजगी व्यक्त की गई है और चरमपंथी खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
उच्चायोग का बयान
भारतीय उच्चायोग ने कहा कि “पूर्व के वर्षों की तरह, हमने ब्रैंपटन के हिंदू सभा मंदिर में काउंसुलर कैंप का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम के सह-आयोजन कर्ताओं में ब्रैंपटन का हिंदू सभा मंदिर शामिल था। उच्चायोग ने कनाडा सरकार से सुरक्षा के इंतजाम करने की मांग की थी, लेकिन 3 नवंबर को भारत विरोधी तत्वों द्वारा इस काउंसुलर कैंप में तोड़फोड़ की गई और लोगों पर हमला किया गया।”
उच्चायोग ने अपनी चिंता जताई है कि सामान्य काउंसुलर कामकाज को भी बाधित किया जा रहा है, जिससे आवेदकों की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। हालांकि, उच्चायोग ने बताया कि इसके बावजूद 1,000 से अधिक जीवन प्रमाण पत्र भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों को बांटे गए।
सांसद चंद्र आर्य का बयान
कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए कहा, “कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों ने लाल रेखा को पार किया है। यह हमला दिखाता है कि खालिस्तानी हिंसक उग्रवाद कितना गहरा और बेशर्म हो गया है। मुझे लगता है कि इसमें सच्चाई है कि कनाडा के राजनीतिक तंत्र के अलावा, खालिस्तानियों ने हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों में भी प्रभावी ढंग से घुसपैठ कर ली है।”
सिख समुदाय ने की निंदा
कनाडा के सिख समुदाय ने भी हिंदुओं पर हुए हमले की निंदा की है। ओंटारियो सिख एंड गुरुद्वारा काउंसिल ने एक बयान में कहा, “मंदिर के बाहर हुई घटना दुखद है। हम कनाडा में सभी धर्मों और समुदायों की भलाई के लिए समर्पित हैं और चाहते हैं कि ऐसा माहौल बने, जिसमें सभी लोग सुरक्षित महसूस करें और अपनी आस्था का पालन बिना किसी डर के कर सकें।”
काउंसिल ने जांच एजेंसियों से मांग की है कि इस मामले की पूरी गंभीरता से जांच की जाए, क्योंकि हमारे समाज में हिंसा की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
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