नैनीताल: नियमितीकरण के मुद्दे को लेकर देहरादून में पिछले 11 दिनों से उपनल कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। इसी बीच उत्तराखण्ड हाई कोर्ट में उपनल कर्मचारियों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से यह जानकारी दी गई है कि अब उपनल कर्मचारियों के वेतन से जीएसटी की कटौती नहीं की जाएगी।
उपनल कर्मचारियों के वेतन से जीएसटी कटौती बंद
पिछले कुछ समय से उपनल कर्मी नियमितीकरण और समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। राजधानी देहरादून में वे पिछले 11 दिनों से लगातार धरना दे रहे हैं। आज हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि कर्मचारियों के वेतन से अब जीएसटी नहीं काटा जाएगा।
HC ने 12 फरवरी तक नियमितीकरण पर निर्णय लेने का निर्देश दिया
अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि 12 फरवरी तक नियमितीकरण और न्यूनतम वेतनमान दोनों पर निर्णय लिया जाए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के महाधिवक्ता एस.एन. बाबुलकर ने बताया कि राज्य में लगभग 40 हजार से अधिक उपनल कर्मचारी हैं, ऐसे में यदि तुरंत नियमितीकरण और न्यूनतम वेतनमान लागू किया गया तो सरकार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ेगा।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि कर्मचारियों को आदेश के अनुसार वेतन देना ही होगा
ज्ञात रहे कि 2018 में कुंदन सिंह की याचिका पर उत्तराखण्ड हाई कोर्ट ने उपनल कर्मचारियों को नियमित करने के साथ-साथ न्यूनतम वेतनमान और महंगाई भत्ता देने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने सरकार को इसे लागू करने के लिए एक वर्ष का समय और छह महीने का एरियर देने का भी निर्देश दिया था।
हालाँकि सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन राहत नहीं मिली। कर्मचारियों के बढ़ते आक्रोश के बीच सरकार ने पुनः रिव्यू याचिका दाखिल की, जिसमें कहा गया कि यह फैसले राज्य की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव डाल रहे हैं। लेकिन 11 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की रिव्यू याचिका भी खारिज कर दी। इसके बाद सरकार ने कैबिनेट बैठक में इस मामले के लिए एक कमेटी का गठन किया है।




