बेनोलिम (गोवा)। ब्रिक्स समिट से पहले गोवा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। इसके बाद दोनों देशों के बीच 16 करार पर हस्ताक्षर हुए। ये करार आपसी व्यापार बढ़ाने के साथ ही रक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं। मोदी ने इस मौके पर अपने भाषण की शुरुआत और अंत रूसी भाषा से किया। रूस भारत को मिसाइल कवच प्रणाली प्रदान करेगा।
रूस और भारत के बीच अत्याधुनिक लॉंग रेंज एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम को लेकर भी करार हुआ। वहीं कोमोव हेलीकॉप्टर को लेकर भी दोनों देशों में करार हुआ है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच गैस पाइपलाइन, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में स्मार्ट सिटी, शिक्षा, रेल की स्पीड बढ़ाने समेत कई क्षेत्रों में अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस आपसी सहयोग को नए युग में ले जाने पर सहमत हुए हैं!दोनों देश जहां रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे वहीं रूस भारत को मेक इन इंडिया में मदद करने पर सहमत हुआ है। भारत-रूस के संबंधों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि रूस भारत का पुराना सहयोगी है और एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है. भारत इस महत्व को जानता है।
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि आतंकवाद पर मिले समर्थन के लिए भी रूस को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत और रूस आतंकवाद के वैश्विक खतरे का मुकाबला मिलकर करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत और रूस ब्रिक्स समेत तमाम मंचों पर मिलकर काम कर रहे हैं और तमाम वैश्विक मंचों पर वैश्विक मसलों के समाधान के लिए मिलजुलकर काम करेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और रूस तमाम क्षेत्रों में क्षमतावान हैं और अगर मिलकर काम करते हैं तो न केवल दोनों देशों के लोगों को जीवन बेहतर होगा बल्कि दुनिया में भी बड़े बदलाव का कारण बनेगा।
इससे पहले शनिवार सुबह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गोवा पहुंचे। हालांकि गोवा एयरपोर्ट पर छाए घने कोहरे के चलते उनका विमान कुछ देरी से यहां पहुंचा है।
पुतिन के भारत आगमन पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भारत में उनका स्वागत है। उन्होंने रूसी भाषा में भी ट्वीट किया है।
वहीं, रूस ने पहली बार भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में 50 करोड़ डॉलर की राशि के निवेश पर सहमति जताई है, इसके साथ ही रूस एक अरब की राशि वाले ‘रूस भारत निवेश कोष’ की स्थापना के लिए लगभग इतनी ही राशि नवनिर्मित ‘नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंड फंड (एनआईआईएफ)’ में भी निवेश करेगा।
आरडीआईएफ के मुख्य कार्यकारी किरील दिमित्रेव ने बताया कि इस संयुक्त कोष में ‘रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष’ (आरडीआईएफ) 50 करोड़ डॉलर निवेश करेगा, जो ‘भारत में रूसी कारोबारी गतिविधि के लिए आकषर्क निवेश के अवसरों और विकास’ का समर्थन करेगा।
दिमित्रेव ने कहा, ‘रूसी कलपुर्ज़े सहित इस धन का निवेश बुनियादी ढांचा परियोजना में किया जाएगा। हम उर्जा, पेट्रोकेमिकल, परिवहन बुनियादी ढांचा और विभिन्न परियोजनाओं को लेकर आशान्वित हैं जहां हमारी कंपनियां भारत में कदम रख सकती हैं।’
कोष को शुरू करने के मकसद से यह समझौता नवगठित एनआईआईएफ के लिए अपनी तरह की पहली ऐसी साझेदारी है और आज से गोवा में शुरू हो रहे दो दिवसीय आठवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष इस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।