BCI तकनीक का कमाल: चुप रहकर भी होगा काम, अब मन पढ़ेगा कंप्यूटर, हर इच्छा होगी पूरी l

वैज्ञानिकों ने विकसित की नई तकनीक BCI: अब कंप्यूटर सीधे समझेगा आपकी सोच, मन की हर बात तुरंत होगी कार्रवाई l वैज्ञानिकों ने ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) नामक तकनीक में सफलता हासिल की है, जिससे अब आप जो सोचेंगे, वह कंप्यूटर तुरंत समझ सकेगा और उस पर कार्रवाई करेगा। इस तकनीक की मदद से चुप रहकर भी आप अपने विचारों को कंप्यूटर पर दर्ज कर सकते हैं और काम करवा सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक खासकर लकवाग्रस्त और बोलने में असमर्थ लोगों के लिए क्रांतिकारी साबित हो रही है।

कैसे काम करती है यह तकनीक

BCI सीधे आपके मस्तिष्क और कंप्यूटर के बीच एक पुल का काम करती है। जब आप कोई चीज सोचते हैं, तो आपके मस्तिष्क के न्यूरॉन्स इलेक्ट्रिकल सिग्नल उत्पन्न करते हैं। ये सिग्नल कंप्यूटर द्वारा कैप्चर और विश्लेषित किए जाते हैं, जिससे आपकी इच्छा के मुताबिक कमांड तैयार होती है। उदाहरण के लिए, अगर आप टीवी चालू करना चाहते हैं, तो BCI इसे पहचान कर स्मार्ट डिवाइस पर तुरंत लागू कर देगा।

तकनीक का उपयोग

स्टैनफोर्ड के हालिया अध्ययन में दिखाया गया कि व्यक्ति के मस्तिष्क में चल रही बातों को बिना किसी आवाज या हाव-भाव के कंप्यूटर डिकोड कर सकता है। इसके लिए सिर में इलेक्ट्रोड्स लगाए जाते हैं जो मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं। इसके बाद कंप्यूटर इन सिग्नल्स को कमांड में बदल देता है।

इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों के लिए है, जिनके हाथ-पैर काम नहीं करते या जो बोल नहीं सकते। अब वे अपने विचारों से व्हीलचेयर, रोबोट, स्मार्टफोन और अन्य उपकरण चला सकते हैं।

भविष्य की संभावनाएँ

भविष्य में यह तकनीक और भी सहज और आम हो जाएगी। स्मार्टफोन, टीवी, रोबोट और कार को केवल सोचकर नियंत्रित किया जा सकेगा। इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य की समझ और विकलांगों की जीवन गुणवत्ता सुधारने में भी यह तकनीक मदद करेगी।

चुनौतियाँ और सावधानियाँ

हालांकि, इस तकनीक के साथ चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं। आपके विचार सीधे कंप्यूटर तक पहुंचते हैं, इसलिए प्राइवेसी और डेटा सुरक्षा एक बड़ा सवाल है। गलत सिग्नल पर गलत कमांड बन सकते हैं। लंबे समय तक इसका उपयोग स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। स्टैनफोर्ड के शोधकर्ताओं ने पासवर्ड-सुरक्षा प्रणाली विकसित की है, जो किसी की सोच को बिना पासवर्ड के डिकोड नहीं करती।

उद्योग और रिसर्च

एलन मस्क की न्यूरालिंक कंपनी भी इस तकनीक को अगले स्तर तक ले जाने की कोशिश कर रही है। छोटे चिप्स के जरिए सीधे मस्तिष्क से सिग्नल कैप्चर करना और सटीक कमांड देना उनकी योजना है।

इस तकनीक से न केवल विकलांग लोगों के जीवन में सुधार होगा, बल्कि आने वाले समय में मानव-कंप्यूटर इंटरैक्शन की दुनिया में नई क्रांति आने की उम्मीद है।

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