कुलदीप राणा, रूद्रप्रयाग: उत्तराखंड सरकार प्राथमिक शिक्षा के लिए अनेक दावे करती तो नजर आती है लेकिन उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में आज भी कई विद्यालय भवनों के अभाव में जीर्ण शीर्ण भवनों में पढ़ने को मजबूर हैं और कभी भी बड़े हादसों को न्यौता दे सकते हैं । लेकिन शासन प्रशासन इन विद्यालयो की सुध नही ले रही हैं।
जनपद रूद्रप्रयाग के विकास खंड जखोली के राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली का भवन 1990 के दशक में बना था जो 1991 व 1999 से अब तक हो रहे भूकंपो से क्षतिग्रस्त हो रखा है इस विद्यालत की खस्ताहाल छत ,दीवारें, दरवाजे अपनी स्थिति को दिखा रहा हैं। विद्यालय को तो शासन द्वारा मिलने वाली लघु मरम्मत के खर्चे से दिवालों को पोता तो जाता है लेकिन दीवारों में जगह -जगह से बरसात में पानी टपकता रहता है। जिससे यहाँ पर पठन-पाठन करने वाले छात्रों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। छोटे छोटे नन्हे बच्चों का कहना है कि बरसात में छत से पानी टपकने के साथ सीमेंट के टूकड़े भी हमारे किताबों के ऊपर गिरते हैं। जिससे पठाई करने में भी परेशानी होती है ।
रुद्रप्रयाग जनपद में न जाने ऐसे कितने विद्यालय हैं जहां छात्र जीर्ण शीर्ण स्थिति में भी पठन पाठन करने को मजबूर हो रखें है। प्राथमिक विद्यालय जैली के प्रधानाचार्य का कहना है कि कई बार स्कूल की स्थिति से अपने उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा चुके हैं लेकिन जो पैसा हमें मिलता है वह इस विद्यालय के जीर्णोद्धार करने के लिए नाकाफी है और कभी कभार अपने जेब से भी प्राथमिकता के आधार पर रूपये खर्च करना पड़ता है विद्यालय की स्थिति से यहाँ के जनप्रतिनिधियों को भी अवगत कराया जा चुका है लेकिन स्थिति जस कि तस है। विद्यायक भरत सिंह चैधरी द्वारा विधायक निधि देने की घोषणा तो की, मगर अभी तक विद्यालय को नहीं मिल पायी है ।
उत्तराखंड सरकार को चाहिए कि वह समय रहते हुए ऐसे जीर्ण शीर्ण विद्यालयों के भवन का आंकलन करें । ताकि आने वाले समय में कोई बड़ा हादसा न हो और इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं पठन पाठन कर सकें और सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावकों का विश्वास बना रहे तथा वे अपने पाल्यों को यहां पढ़ाने में संकोच न करें।