सेक्स संबन्धी समस्याओं में रामबाण है अलसी

अगर आपकी सेक्स सम्बंधी कोई समस्याएं है तो अलसी खाकर आपकी सारी समस्या दूर हो जाएँगी क्योंकि अलसी आधुनिक युग में स्प्नदोष  के साथ साथ शीघ्रस्खलन, दुर्बल कामेच्छा, बांझपन, गर्भपात, दुग्धअल्पता की भी महान औषधि है। आइये जाने पुरुष रोगो में अलसी कैसे काम करती हैं और इसके सेवन की विधि।

अलसी प्रयोग करने का तरीका

* रोज 30 – 60 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिये। 30 ग्राम आदर्श मात्रा है। अलसी को रोज मिक्सी के ड्राई ग्राइंडर में पीसकर आटे में मिलाकर रोटी, पराँठा आदि बनाकर खाना चाहिये। डायबिटीज के रोगी सुबह शाम अलसी की रोटी खायें। कैंसर में बुडविग आहार-विहार की पालना पूरी श्रद्धा और पूर्णता से करना चाहिये। इससे ब्रेड, केक, कुकीज, आइसक्रीम, चटनियाँ, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं।

अगर इसको पीस कर रखे तो इसको सात दिन के अंदर सेवन कर ले अन्यथा इसके गुण खत्म हो जाते हैं। नहीं तो इसके बीजो को भून कर रखिये और कभी भी खाइये।

* अलसी को सूखी कढ़ाई में डालिये, रोस्ट कीजिये (अलसी रोस्ट करते समय चट चट की आवाज करती है) और मिक्सी से पीस लीजिये. इन्हें थोड़े दरदरे पीसिये, एकदम बारीक मत कीजिये. भोजन के बाद सौंफ की तरह इसे खाया जा सकता है .

* अलसी बांझपन, पुरूषहीनता, शीघ्रस्खलन व स्थम्भन दोष में बहुत लाभदायक है।

* लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला एक उभरता हुआ सात सितारा पोषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन ईस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था, प्रसव, मातृत्व और रजोनिवृत्ति में विभिन्न हार्मोन्स् का समुचित संतुलन रखता है। लिगनेन मासिकधर्म को नियमित और संतुलित रखता है। लिगनेन रजोनिवृत्ति जनित-कष्ट और अभ्यस्त गर्भपात का प्राकृतिक उपचार है। लिगनेन दुग्धवर्धक है। लिगनेन स्तन, बच्चेदानी, आंत, प्रोस्टेट, त्वचा व अन्य सभी कैंसर, एड्स, स्वाइन फ्लू तथा एंलार्ज प्रोस्टेट आदि बीमारियों से बचाव व उपचार करता है।

* सेक्स संबन्धी समस्याओं के अन्य सभी उपचारों से सर्वश्रेष्ठ और सुरक्षित है अलसी। बस 30 ग्राम रोज लेनी है। गर्मियों में इसका सेवन थोड़ा कम करना चाहिए और पानी अधिक पीना चाहिए। नहीं तो गर्मी की वजह से घमोरियां वगैरह हो सकती हैं।

ऐसे करती हैं अलसी काम

सबसे पहले तो अलसी आप और आपके जीवनसाथी की त्वचा को आकर्षक, कोमल, नम, बेदाग व गोरा बनायेगी। आपके केश काले, घने, मजबूत, चमकदार और रेशमी हो जायेंगे।अलसी आपकी देह को ऊर्जावान, बलवान और मांसल बना देगी। शरीर में चुस्ती-फुर्ती बनी गहेगी, न क्रोध आयेगा और न कभी थकावट होगी। मन शांत, सकारात्मक और दिव्य हो जायेगा।

असल में  ओमेगा-3 फैट, जिंक और मेगनीशियम आपके शरीर में पर्याप्त टेस्टोस्टिरोन हार्मोन और उत्कृष्ट श्रेणी के फेरोमोन ( आकर्षण के हार्मोन) स्रावित होंगे। टेस्टोस्टिरोन से आपकी कामेच्छा चरम स्तर पर होगी। आपके साथी से आपका प्रेम, अनुराग और परस्पर आकर्षण बढ़ेगा। आपका मनभावन व्यक्तित्व, मादक मुस्कान और षटबंध उदर देख कर आपके साथी की कामाग्नि भी भड़क अलसी में विद्यमान ओमेगा-3 फैट, आर्जिनीन एवं लिगनेन जननेन्द्रियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं, जिससे शक्तिशाली स्तंभन तो होता ही है साथ ही उत्कृष्ट और गतिशील शुक्राणुओं का निर्माण होता है। इसके अलावा ये शिथिल पड़ी क्षतिग्रस्त नाड़ियों का कायाकल्प करते हैं जिससे सूचनाओं एवं संवेदनाओं का प्रवाह दुरुस्त हो जाता है।

नाड़ियों को स्वस्थ रखने में अलसी में विद्यमान लेसीथिन, विटामिन बी ग्रुप, बीटा केरोटीन, फोलेट, कॉपर आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ओमेगा-3 फैट के अलावा सेलेनियम और जिंक प्रोस्टेट के रखरखाव, स्खलन पर नियंत्रण, टेस्टोस्टिरोन और शुक्राणुओं के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक हैं। कुछ वैज्ञानिकों के मतानुसार अलसी लिंग की लंबाई और मोटाई भी बढ़ाती है।

* आपने देखा कि अलसी के सेवन से कैसे प्रेम और यौवन की रासलीला सजती है, जबर्दस्त अश्वतुल्य स्तंभन होता है, जब तक मन न भरे सम्भोग का दौर चलता है, देह के सारे चक्र खुल जाते हैं, पूरे शरीर में दैविक ऊर्जा का प्रवाह होता है और सम्भोग एक यांत्रिक क्रीड़ा न रह कर एक आध्यात्मिक उत्सव बन जाता है, समाधि का रूप बन जाता है।

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