अमृतसर में दो दिवसीय हार्ट ऑफ़ एशिया सम्मेलन शुरू हो गया. इस सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को घेरने का भारत के पास बेहतरीन मौका होगा और इसमें अफगानिस्तान का साथ मिलने की पूरी उम्मीद है.
सम्मेलन से जुड़ी अहम जानकारियां :
- भारत ने उरी में सैन्य ठिकाने पर हमले के बाद पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने करने का आह्वान किया था और हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में उसी दिशा में अपना प्रयास जारी रख सकता है.
- भारत की इस कोशिश में अफगानिस्तान का भी पूरा साथ मिलने की उम्मीद है, क्योंकि वह भी खुद को पड़ोसी देश की जमीन से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार बताता रहा है. पाकिस्तानी सरजमीं से चल रहे आतंकवादी संगठनों ने अफगानिस्तान में हमले तेज कर दिए हैं.
- हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रोसेस के वार्षिक सम्मेलन में करीब 40 देशों समेत यूरोपीय संघ जैसे प्रमुख समूह संकट से घिरे अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया बहाली समेत देश से जुड़ी कई समस्याओं पर चर्चा कर रहे हैं.
- भारत, चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान समेत सभी 14 देशों के वरिष्ठ अधिकारी और 17 सहयोगी देशों के प्रतिनिधि अफगानिस्तान के जटिल सुरक्षा परिदृश्य और आतंकवाद, कट्टरता और उग्रवाद के खतरे से निपटने के मुद्दे समेत कई व्यापक विषयों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं.
- वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण और मध्य एशियाई देशों के साथ अफगानिस्तान का संपर्क बेहतर करने पर चर्चा हो रही है. भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हिकमत खलील करजई बैठक की संयुक्त अध्यक्षता कर रहे हैं. बैठक में रविवार के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के मसौदों को अंतिम रूप दिया जा रहा है और साथ ही इसके घोषणापत्र पर भी चर्चा की जा रही है, जिसका एक बड़ा हिस्सा आतंकवाद से संबंधित होगा.