राजस्थान उच्च न्यायालय का सुझाव, गाय को एक राष्ट्रीय पशु घोषित करें

राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को सुझाव दिया कि गाय को देश के राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और साथ ही राजस्थान बोवाइन अधिनियम 1995 के तहत गोह हत्या की सजा 10 साल से बढ़ा दी जाये।

न्यायमूर्ति महेश चंद्र शर्मा की एकल पीठ ने जयगो जनता सोसाइटी की एक याचिका पर फैसला सुनाया, जो हिंगोनिया गोशाला के कुप्रबंधन से सम्बंधित था। वैसे यह अंतिम निर्णय था क्योंकि वह बुधवार को सेवानिवृत्त हो रहे है।

अदालत ने संविधान की धारा 48 और 51-ए (जी) के अनुसार, सरकार को गाय को कानूनी इकाई का दर्जा देने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाय संरक्षा केवल धार्मिक परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि गायों को हिंदुओं द्वारा सम्मानित किया जाता है लेकिन तथ्य यह भी है कि देश की अर्थव्यवस्था कृषि और डेयरी पर बहुत निर्भर है।

अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव और वकील जनरल को ‘लोको मातृ-में व्यक्तियों’ के रूप में नियुक्त किया है ताकि गाय को राष्ट्रीय पशु का दर्जा दिलवाया जा सके।

अदालत ने 19 सिफारिशें दीं, जो देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में आती हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने मवेशियों की बिक्री और वध करने पर नए प्रतिबंध लगाए हैं।

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे कई राज्यों ने इस आधार पर केंद्र के निर्देश को लागू करने से इनकार कर दिया है कि वह पशु वध करने पर अपने स्वयं के कानून बनाने के लिए राज्यों की शक्तियों का उल्लंघन कर रही है।

 

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