काठमांडू:नेपाल में महिलाओं के साथ जुड़ी एक अजीबोगरीब प्रथा है। यहां महिलाओं को जब माहवारी होती है, तो उन्हें परिवार से दूर एक झोपड़ी में रहने के लिए कहा जाता है। जब तक माहवारी खत्म नहीं होती, तबतक महिलाओं को वहीं अकेले रहना पड़ता है। माहवारी खत्म होने के बाद ही वह लौटकर घर आ सकती हैं। नेपाल में इस परंपरा को ‘चौपड़ी’ नाम से जाना जाता है। नेपाल ने एक कानून बनाकर करीब एक दशक पहले ही ‘चौपड़ी’ की इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अंधविश्वास और धार्मिक-सामाजिक मान्यताओं के कारण अब भी यहां बड़े स्तर पर इसे व्यवहार में लाया जाता है। संसद के सामने एक नए कानून का प्रस्ताव पेश हुआ है। इसमें इस रिवाज को आपराधिक घोषित करने की बात कही गई है। अगर यह कानून पारित हो जाता है, तो महिलाओं को इस परंपरा का पालन करने के लिए मजबूर करने पर जेल की सजा होगी।
महिलाओं को माहवारी के दौरान घर-परिवार से दूर रखने की यह परंपरा हिंदू परिवारों में काफी पुरानी है। माहवारी के दौरान महिलाएं ना तो खाने को छू सकती हैं और ना ही पुरुषों को ही छू सकती हैं। माहवारी के दौरान महिलाओं को अछूत समझा जाता है। मवेशियों को छूने की भी मनाही होती है। देवताओं की मूर्तियों और पूजा-पाठ से भी उन्हें दूर रखा जाता है। यहां तक कि राजधानी काठमांडू में हर चार घरों में से कम से कम तीन ऐसे हैं, जहां माहवारी के दौरान महिलाओं पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए जाते हैं। हाल ही में इस प्रथा के कारण दो महिलाओं की मौत का मामला भी सामने आया था। इनमें से एक महिला ने सर्दी से बचने के लिए झोपड़ी के अंदर आग जलाई और धुएं में दम घुटने के कारण उसकी मौत हो गई।
पश्चिमी नेपाल में रहनी वाली पवित्रा गिरी ने बताया, ‘हमें लगता है कि अगर ऐसा नहीं किया, तो बुरी चीजें होंगी। अगर हम इस परंपरा का पालन करेंगे, तो ईश्वर हमसे खुश रहेंगे।’ पवित्रा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस परंपरा से अच्छा ही होता है। यही वजह है कि माहवारी के दौरान मैं भी इसका पालन करती हूं।’ गिरी बताती हैं कि शुरू-शुरू में उन्हें घर और परिवार से दूर अकेले झोपड़ी में रहने से डर लगता था, लेकिन अब अकेले रात काटने की उन्हें आदत हो गई।