म्यांमार के रखाइन राज्य में रोहिंग्याओं पर हो रही हिंसा और उनके पलायन के बीच वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं को लेकर भी एक बड़ा खुलासा हुआ है। म्यांमार के स्टेट काउंसलर इन्फर्मेशन ऑफिस ने बताया कि 25 अगस्त को 300 रोहिंग्याओं ने 100 हिंदुओं का अपहरण किया और उनमें से 92 को मौत के घाट उतार दिया गया लेकिन इनमें से 8 किसी तरह बच गए। ये सभी महिलाएं थीं जिन्हें बाद में इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया और फिर बांग्लादेश ले जाया गया।
म्यांमार की सेना को 28 हिंदुओं की सामूहिक कब्र मिलने के दो दिन बाद यह खुलासा हुआ है। उत्तरी रखाइन के एक गांव के बाहर मिली इस कब्र में महिलाओं और बच्चों के शव भी शामिल थे। म्यांमार की सेना के मुताबिक यह सामूहिक कब्र रखाइन राज्य में रोहिंग्या चरमपंथियों द्वारा किए जा रहे नरसंहार का सबूत है।
ऐसे में भारत में आए रोहिंग्या मुस्लिमों के प्रति भारत सरकार के रुख को देखते हुए भारत के ही कुछ नेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिये, ये जाने बिना कि सरकार ऐसा कर क्यों रही है. कुछ नेताओं पर तो ये आरोप भी लगे हैं कि वोट बैंक के चक्कर में वो इन रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में रखना चाहते हैं. कुछ नेता सांप्रदायिक समानता के कारण इनसे सहानुभूति रखते हैं. इन नेताओं ने सरकार के फैसले के बाद खूब हंगामा मचाया था।
सहानुभूति रखना अच्छा है लेकिन ये देखना भी जरुरी है कि जहाँ इन रोहिंग्या मुसलमानों म्यांमार में हिन्दुओ के हत्याओं की खबरों को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता। अभी बांग्लादेश से खबर आई है कि ये रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश के राहत कैंपों में रह रहीं रोहिंग्या हिंदू महिलाओं के सिंदूर मिटाकर उनकी चूड़ियाँ तोड़ रहे हैं. इसी महीने एक हिंदू महिला जिसे पूजा से रबिया बना दिया गया ने बताया कि बांग्लादेश राहत कैंपों में रोहिंग्या मुस्लिमों की ओर से हिंदू महिलाओं का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है. आपको बता दें कि रोहिंग्या मुस्लिमों पर हिंदू महिलाओं पर बलात्कार करने के आरोप भी लगते रहे हैं. अब ऐसे में अगर म्यांमार से बहिष्कृत इन रोहिग्याओं को कोई देश शरण देगा तो कैसे ? इन खबरों के बाद उन नेताओं का मुंह भी चुप है जो इन रोहिग्याओं के प्रति हमदर्दी रखते थे।
रोहिंग्याओं के प्रति हमदर्दी रखना सही है लेकिन उनको अपने देश में रहने की इजाज़त देने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करना भी जरुरी है.भारत के उन नेताओं को भी पूरी स्थिति के बारे में ढंग से सोचना चाहिए जो रोहिंग्याओं को भारत में रखने की बात करते हैं और भारत सरकार को घेरने की कोशिश करते हैं।