निचे कुछ चौपाइयां प्रेषित की जा रही है अगर सच्चे मन से ध्यान लगा कर इनका जाप किया जाए तो आप अपनी मनोकामना पूरी या कार्यसिद्धि कर सकते है।
जीविका प्राप्ति हेतु – बिस्व भरण पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।
विद्या प्राप्ति हेतु – जेहि पर कृपा करउ जनु जानी । कवि उर अजिर नचावहि वानी ।।
गुरु गृह गए पढ़न रघुराई । अल्प काल विद्या सब आई ।।
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
मनोरथ सिद्धि के लिए – भव भेषज रघुनाथ जसु, सुनइ जे नर अरु नारी ।
तिन्ह कर सकल मनोरथ ,सिद्ध करहि त्रिसिरारि ।।
सम्पत्ति की प्राप्ति हेतु- जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
पुत्र प्राप्ति हेतु – प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान । सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
यात्रा सफलता हेतु – प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
प्रेम बढाने हेतु- सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥
विचार शुद्ध करने हेतु- ताके जुग पद कमल मनाउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ।।
श्रीहनुमान् जी को प्रसन्न हेतु- सुमिरि पवनसुत पावन नामू। अपनें बस करि राखे रामू।।
श्री सीताराम के दर्शन हेतु – नील सरोरुह नील मनि नील नीलधर श्याम ।
लाजहि तन सोभा निरखि कोटि कोटि सत काम ॥
सहज स्वरुप दर्शन हेतु- भगत बछल प्रभु कृपा निधाना। बिस्वबास प्रगटे भगवाना।।
विघ्न शांति हेतु – सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही। राम सुकृपाँ बिलोकहिं जेही॥
संकट-नाश हेतु – जौं प्रभु दीन दयालु कहावा। आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहिं नामु जन आरत भारी। मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
विपत्ति-नाश के हेतु – राजिव नयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक।।
विशेष सम्पुट- जेहि विधि होइ नाथ हित मोरा । करउ सो वेगु दास में तोरा ।।
( अर्थात भगवन जिस भी प्रकार से मेरा हित हो वही करिये )
विधि – रामचरित मानस नौ नवाह्नपारायण अथवा तीस मासपारायण का संकलन है , नवरात्रि में नवाह्नपारायण पाठ एवं श्रावण मास में मासपारायण पाठ का विधान है।
नवरात्रि में प्रतिदिन एक नवाह्नपारायण का पाठ ऊपर प्रेषित सम्पुट (अपनी इच्छा अनुसार ) के साथ करे।
सम्पुट लगाने हेतु – किसी भी चोपाई या दोहा जिसका आपको सम्पुट लगाना है , पाठ के दौरान प्रत्येक दोहे के बाद अपने सम्पुट का उच्चारण करें।
तत्पश्चात पुनः चौपाई से पाठ करें , और अपना सम्पुट प्रत्येक दोहे के बाद लगाए , इसी क्रम के अनुसार रामचरित मानस का पाठ करें ,
तथा नौ नवाह्नपारायण विश्राम समाप्ति के पश्चात नवरात्रि के अंतिम दिन सुन्दरकांड द्वारा रामचरित मानस पाठ की पूर्णाहुति करें ।