अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए देश ही नहीं विदेशियों की भी पसंदीदा जगह में शुमार देवभूमि उत्तराखंड। लेकिंन उत्तराखंड़ में बेहद खूबसूरत दिखने वाली ऐसी टूरिस्ट डेस्टिनेशन भूतिया जगह से कम नहीं है। यहां जाने के लिए कलेजा चाहिए होता है। हम आपको डरा नहीं रहे, लेकिन इन्हें लेकर लोगों की मान्यता है तो यहां जाएं तो उनका स्वागत प्रेत आत्माएं करती हैं। तो चलिए दिखाते हैं आपको कुछ ऐसी ही जगह…पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह मसूरी जितना शांत और खूबसूरत है उतनी ही भयावनी यहां की देहरा माइन है। ऐसा कहा जाता है 1990 से पहले उस वक्त यहां पर हजारों मजदूर काम करते थे। मसूरी के बाहरी इलाके में स्थित इस माइन में 1990 के दशक में यह अप्रिय घटना घट गई। एक हादसे में इसमें काम कर रहे कई मजदूरों की मौत हो गई। तब से यह माइन बदहाल है और काफी भयावह है। लोग बताते हैं कि इस वीरान जगह पर एक हेलीकॉप्टर रहस्यमयी तरीके से क्रेश हो चुका है। जो यहां जाता है वो वापस नहीं आता है। लोगों का कहना है कि इस वीरान जगह रात में लोगों की आवाज सुनाई देती है।उत्तराखंड में कई जगह खूबसूरत झीलें है जिन्हें देखने के लिए दूर- दूर से लोग आते हैं। लेकिन एक झील ऐसी है जो बेहद डरावनी भी है। हिमालय की गोद में बसी यह झील दिखने में जितनी खूबसूरत है यह उतनी ही डरावनी भी है। रूपकुंड के नाम से विश्व विख्यात इस झील में आपको तैरते हुई कंकालों के अलावा कुछ दिखाई नहीं देगा। कहते हैं कि वहां जाने वाले कभी वापस नहीं आते। इसलिए लोग वहां जाने से डरते हैं। जानकारी के अनुसार वहां पर अभी भी नौ सौ से ज्यादा कंकाल है। देहरादून के चकराता छावनी क्षेत्र में यह बंगला भूतिया बंगले के नाम से जाना जाता है। 1860 में ब्रिटीश आर्मी द्वारा छावनी का निमार्ण कराया गया। 1888 में यहां देवदार की लड़की से चकराता के डीएफओ के लिए एक बंगला बनाया गया। स्थानीय लोगों द्वारा कहा जाता है कि बंगले में कोई आत्मा रहती है जो कई लोगों ने देखी है। कहा जाता है कि एक परिश्रमी ब्रिटिश आईएफएस अफसर यहां लंबे समय तक रहा। माना जाता है कि बंगले में दिखाई देने वाली आत्मा उसी की है। जो बंगले में घूमती दिखाई दी गई है। मसूरी के सबसे प्रसिद्ध होटलों में शामिल सेवॉय होटल भी काफी भूतह है। 19वीं शताब्दी में यह स्कूल था जिसका नाम बाद में बदलकर मेडॉक स्कूल रख दिया। स्कूल की जर्जर हो चुकी इस इमारत को 1890 में इंग्लैंड से आए लिंकन ने खरीदा था। 1902 में इसे लंदन के मशहूर होटल सेवॉय के तर्ज पर खड़ा किया। इस होटल में 121 कमरे, हिंदुस्तान का सबसे बड़ा बॉल रूम, आलिशान पार्क, गार्डन, टेनिस कोर्ट, रेसकोर्स, बिलयर्ड रूम के साथ अपना अलग पोस्ट ऑफिस अंग्रेजों के लिए बनाया गया था। एक दिन होटल में एक ब्रिटिश महिला लेडी ऑर्मे का खून हो गया। कत्ल का तरीका बिल्कुल अलग था। लेडी गारनेट ऑर्मे की लाश मौत के कई दिनों बाद होटल के कमरे से बरामद हुई थी। बावजूद इसके लाश एक दम ताजा मालूम पड़ रही थी। हत्या कैसे हुई और लाश का क्या हुआ यह भी रहस्य ही रह गया। लोग मानते हैं कि यहां आवाजें आती हैं। इसलिए यहां जाने की मनाही है। चंपावत के लोहाघाट स्थित अबॉट पवर्त पर बनी ऐबे कोठी में लोगों को अक्सर बुरी आत्माएं दिख जाती हैं। यह जगह मुक्ति कोठरी के नाम से जानी जाती है। स्थानीय लोग लगातार यहां भूतों का आभास करने की बात बताते हैं। सूरज ढलने के बाद इस क्षेत्र के पास कोई नहीं जाता है। यह बंगला ब्रिटिश काल में बनाया गया था। पहले ये अस्पताल अपने अच्छे इलाज के लिए जाना जाता था, लेकिन एक संदिग्ध डॉक्टर के अस्पताल में आने के बाद यहां संदिग्ध गतिविधियां होने लगीं। कहा जाता है उसके पास भविष्य देखने की शक्ति थी, लेकिन वह इंसानों को उनके भविष्य के बारे में कोई भी अच्छी बात नहीं बताता था। वह लोगों के केवल उनकी मृत्यु के बारे में बताया करता था। जब भी अस्पताल में कोई नया मरीज आता था, वह उस मरीज के पास जाकर यह जान लेता था कि वह मरीज मरने वाला है या नहीं। जब वह दिन आ जाता तो संदिग्ध डॉक्टर उस मरीज को मुक्ति बोध कोठरी में ले जाता था। इसलिए अब यह बंगला वीरान और खाली है।