राजगीर : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सलाह दी कि राज्य में शराबबंदी लागू करके जोखिम उठाएं जिससे उन्हें परिवार की छाया से बाहर निकलने में और आगामी राज्य विधानसभा चुनाव जीतने में मदद मिलेगी। साथ ही बिहार के सीएम ने कहा कि सुरक्षा और कूटनीति के मुद्दे पर पूरा देश पीएम नरेंद्र मोदी के साथ है। उन्हें पाकिस्तान को ‘प्रेम पत्र’ लिखना बंद करना चाहिए।
नीतीश ने बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अपने पहले भाषण में कहा, ‘अंग्रेजी में कहावत है ‘नो रिस्क, नो गेन’। आप युवा हैं। परिवार की छाया से बाहर निकलने का जोखिम लें और चुनावों में जीत हासिल करें।’ उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाह रहे नीतीश ने पिछले कुछ महीने में शराबबंदी के संदेश के साथ राज्य के आठ दौरे किये हैं।
उन्होंने अखिलेश के लिए कहा, ‘आप जोखिम उठाइए, मैं आपका पुरजोर समर्थन करूंगा।’ वहीं सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को आड़े हाथ लेते हुए नीतीश ने कहा, ‘हमने उन्हें पुनर्गठित जनता परिवार में अध्यक्ष के पद की पेशकश की थी और संसद में भी संसदीय दल के प्रमुख की भूमिका का प्रस्ताव दिया था। लेकिन वह जनता परिवार से बाहर हो गये और उन्होंने बिहार चुनावों में जो भूमिका निभाई, उससे लगता है कि उन्होंने आफत मोल ले ली जो उनकी पार्टी में गहरे झगड़े में दिखाई दिया।’
नीतीश कुमार जदयू की राष्ट्रीय परिषद के दो दिवसीय सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन का समापन सोमवार को हुआ। राष्ट्रीय परिषद ने जदयू अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति का अनुमोदन किया जिसमें 23 राज्यों से 170 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कुमार ने देशभर से आये पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि मद्यनिषेध का संदेश केंद्र में मौजूदा सरकार के लिए राष्ट्रीय विकल्प को तैयार करने का ‘सकारात्मक एजेंडा’ बन सकता है।
जदयू के पूर्ण सत्र की शुरुआत पठानकोट और उरी आतंकी हमलों में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई।
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना की कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री की तारीफ वाले होर्डिंग लगाने वाले भाजपा नेताओं की आलोचना करते हुए नीतीश ने कहा, ‘हम आतंकी हमलों से हमारे देश की सुरक्षा के विषय पर मजबूती से प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के साथ खड़े हैं और लक्षित हमलों के सबूत मांगे जाने का भी समर्थन नहीं करते लेकिन यह जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है कि चुनावों के मद्देनजर सैन्य कार्रवाई का श्रेय लेने के लिए होर्डिंग लगाने से किसी पार्टी या नेता को रोकें।’
उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान को प्रेमपत्र लिखना बंद करें और उसे उसी भाषा में कठोर जवाब दें जिसे वह समझता है।’ नीतीश ने कहा, ‘कल ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने हमारे पड़ोसी (पाकिस्तान) को आतंकवाद का जन्मस्थान कहा था। मैं उनका समर्थन करता हूं और जदयू हमारी सुरक्षा और बाहरी कूटनीति से जुड़े मुद्दों पर केंद्र के साथ मजबूती से खड़ी है।’ तीन तलाक के मुद्दे पर जदयू अध्यक्ष ने कहा, ‘हमारा रुख साफ है। उस समुदाय के नेताओं और लोगों को मुस्लिम महिलाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए मुद्दे का हल निकालना चाहिए। मामले में सरकार को दखल देने की कोई जरूरत नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘हमने 1996 से अपना रुख साफ रखा है कि हम समान नागरिक संहिता के पक्ष में, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ करने के पक्ष में नहीं हैं और अयोध्या मुद्दे का समाधान या तो किसी अदालत के आदेश से या दोनों समुदायों के बीच सहमति से निकाला जाना चाहिए।’ सम्मेलन में जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जेवीएम के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी उपस्थित थे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्ण सत्र में आमंत्रित मरांडी का नीतीश और अन्य नेताओं ने स्वागत किया।