देहरादून में डेंगू की रोकथाम के लिए चार दिन तक चलाया जाएगा महाभियान, हॉट स्पॉट इलाकों से होगी शुरुआत।

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देहरादून – डेंगू की रोकथाम के लिए देहरादून में चार दिन तक महाभियान चलाया जाएगा। डेंगू के हॉट स्पॉट इलाकों में मंगलवार से अभियान की शुरुआत की जाएगी। जिसमें स्वास्थ्य, नगर निगम, जिला प्रशासन की संयुक्त टीमें डेंगू से प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर मच्छरों के लार्वा नष्ट करने की कार्रवाई करेगी। जिन क्षेत्रों में 10 डेंगू मरीज मिलते हैं, उन क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन बनाकर निगरानी की जाएगी। इसके लिए नोडल अधिकारी भी नामित होंगे।

सोमवार को सचिवालय में स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने डेंगू रोकथाम की समीक्षा बैठक की। उन्होंने जिलाधिकारी सोनिका से डेंगू नियंत्रण पर फीडबैक लेकर हॉट स्पाॅट इलाकों पर चर्चा की। बैठक में तय किया गया कि सभी विभाग सामूहिक रूप से चार दिन देहरादून में रोकथाम के लिए महाअभियान चलाएंगे। जिले में चिकित्सा अधिकारियों और आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जन जागरूकता की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

आशा वर्करों को पैरासिटामोल के साथ लार्वा नष्ट करने के लिए लार्वा साइडल दवा भी दी जाएगी। बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. विनीता शाह, निदेशक चिकित्सा शिक्षा आशुतोष सयाना, सीएमओ डॉ. संजय जैन, राज्य संचरण परिषद के निदेशक डॉ. अजय नगरकर, कार्यक्रम अधिकारी एनएचएम डॉ. पंकज सिंह मौजूद थे।

डेंगू नियंत्रण की सभी विभागों की सामूहिक जिम्मेदारी

स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू महामारी रोकने को सभी विभागों को मिलकर कार्य करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य, नगर निगम, शिक्षा, लोक निर्माण, पेयजल समेत अन्य विभागों को मिलकर कार्य करने को कहा गया है। जिन स्थानों पर चेतावनी के बाद भी पानी जमा होने से डेंगू मच्छर पैदा होने की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, ऐसे संस्थानों व लोगों पर जुर्माना लगाया जाए।

आवासीय समितियों से सहयोग की अपील
स्वास्थ्य सचिव ने जिले की सभी स्वयं सेवी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, आवासीय समितियों से आग्रह किया है कि वे आगे बढ़कर डेंगू मुक्ति अभियान का हिस्सा बनें। सभी समितियां अपने-अपने इलाकों में लोगों को जागरूक लार्वा नष्ट करने को सफाई अभियान चलाएं।

डेंगू मरीजों से ज्यादा वसूली पर 50 हजार से दो लाख तक जुर्माना
सचिव ने कहा कि किसी भी निजी और सरकारी अस्पताल में डेंगू मरीजों से जांच और प्लेटलेट्स के लिए ज्यादा वसूली की जाती है तो उस पर विभाग सख्त कार्रवाई करेगा। क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत 50 हजार से दो लाख रुपये तक जुर्माना तक लगाया जाएगा।

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