डिजिटल युग में आज हर कोई डिजिटाइज्ड है। क्या आम क्या ख़ास आज हर किसी के हाथो में आपको स्मार्ट फ़ोन ही दिखेगा । औसतन लोग इस का सदुपयोग कर रहे हैं तो कहीं इस का दुरूपयोग भी हो रहा है । जी हाँ आज हम स्मार्ट फ़ोन ओर उस में लैस एनरोइड ऍप्स ओर फीचर्स पर इतने डिपेंड हो गए है की, एक दिन को इंसान बिना खाये रह ले ,पर बिना स्मार्ट फ़ोन ओर डेटा के समय काटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। पर क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है की डिजिटल डेटिंग वाकई में वास्तविक है या महज एक मिथ्या है । क्या आप जानते है , ऑनलाइन डेटिंग में सबसे ज्यादा शोषण लड़कियों का होता है । आप को बता दे एक सर्वे में पाया गया है कि डिजिटल डेटिंग के दौरान लड़कियां गलत व्यवहार और शोषण का अधिक शिकार होती है । वहीँ लड़कों की तुलना में गंभीर भावनात्मक परेशानियों का सामना करना भी पड़ता है। डिजिटल डेटिंग सभी युवाओ के लिए हानिकारक है, पर वहीँ लड़को के मुकाबले लड़कियों के लिए ज्यादा नुकसानदायक है ।
शोधकर्ताओं की माने तो अक्सर लड़के, लड़कियों को सेक्स ऑब्जेक्ट्स मानकर व्यवहार करते हैं जो कि डिजिटल यौन बलात्कार की उच्च दर का कारण बनता है।’ वहीं, लड़कियां रिश्तों को प्राथमिकता देने की उम्मीद में जलन और अधिकार बोध जैसी भावनाओ में बह जाती हैं । जहां एक ओर लड़कियों को धमकी भरे मैसेजेस, बिना अनुमति के उनकी निजी जानकारियों को बटोरने, नग्न तस्वीरें जैसी मांग या उनकी गतिविधियों पर नजर रखने जैसी हरकतों का शिकार होना पड़ता है । वहीँ लड़को में भी ऑनलाइन प्यार, तकरार , इंकार जैसे नकारात्मक भावनाये स्ट्रेस, डिप्रेशन, आत्मा हत्या और कतल, चोरी चकारी जैसे अपराधों को अंजाम देने में मजबूर कर देता है । ऐसा नहीं है की डिजिटल डेटिंग में केवल लड़कियों की छवि के साथ खिलवाड़ होता है, बल्कि लड़को के छवि और भावनाओ को भी विकृत किया जाता है।