डायबिटीज है हड्डियों की सबसे बड़ी दुश्मन, बढ़ जाता है फ्रैक्चर का खतरा!

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डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में कई बीमारियों की संभावना बन जाती है. डायबिटीज के रोगियों को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है क्योंकि  ये पैरों की ऊंगलियों से लेकर आंख तक को प्रभावित करता है, लेकिन इससे हड्डियां पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को कैल्शियम और विटामिन-डी से भरपूर खाने की जरूरत होती है. कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट, हरी-पत्तेदार सब्जियां और कैल्शियम से भरपूर तरल चीजें लेनी चाहिए.

एक्सपर्ट के मुताबिक, इस बिमारी से जूझ रहे व्यक्ति के शरीर में ब्लड शूगर का लेवल बढ़ जाता है. अनियमित खानपान, एक्सरसाइज की कमी से यह बीमारी लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लेता है.

दिल्ली की फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. पूजा बजाज कहती हैं कि हड्डियों में दो तरह की सेल्स होते हैं. एक ऑस्टियोक्लास्ट्स (वो सेल्स जो बोन टिश्यू को तोड़ती हैं) और दूसरी ऑस्टियोब्लास्ट्स (वो सेल्स जो हड्डियों के निर्माण में सहायक होती हैं). ग्लूकोज का लेवल बढ़ने से दोनों तरह की सेल्स पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसकी वजह से जहां बोन टिश्यू (हड्डियों के ऊतक) ज्यादा टूटते हैं,

उन्होंने कहा कि, ग्लूकोज लेवल को बैलेंस करने वाली दवाओं से भी हड्डियों को नुकसान पहुंचता है. दवाएं हड्डियों को कमजोर करती हैं और उनके टूटने का खतरा बढ़ जाता है. उम्रदराज महिलाओं में यह खतरा ज्यादा होता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या पिछले 13 सालों में दोगुनी हो गई है. डब्ल्यूएचओ की 2016 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2000 में डायबिटीज के मरीजें लगभग 3.2 करोड़ थे, जब्कि 2013 तक ये बढ़कर 6.3 करोड़ हो चुके हैं.

ब्रिटिश पत्रिका ‘द लैंसेट’ द्वारा 9 अप्रैल, 2016 को जारी किए गए एक स्टडी के मुताबिक, डायबिटीज से जूझ रहें मरीजों की आबादी के मामले में चीन, भारत और अमेरिका दुनिया में टॉप पर हैं. पत्रिका में कहा गया है कि 1980 से 2014 तक दुनिया भर में डायबिटीज के मरीजों की संख्या चार गुना बढ़कर 10.8 करोड़ से 42.2 करोड़ हो गई. इनमें से आधे रोगी भारत, चीन, अमेरिका, ब्राजील और इंडोनेशिया में हैं.

दिल्ली के फोर्टिस हॉस्पिटल में एंडोक्राइनोलॉजी व डाइबेटोलॉजी की स्पेशलिस्ट, अलका झा के मुताबिक, टाइप 1 डायबिटीज पीड़ितों की हड्डियों की डेन्सिटी घटने लगती है, जो ऑस्टियोपोरेसिस रोग का सबसे बड़ा फैकटर है. टाइप 2 डायबिटीज रोगियों को फ्रैक्चर का जोखिम रहता है, जो डायबिटीज पीड़ित उम्रदराज लोगों में आम बात होती है.

डायबिटीज रोगियों में हड्डियों और जोड़ों का खतरा ज्यादा होने की बात करते हुए चेन्नई स्थित मेट्रोपॉलिस हेल्थकेयर की एमडी डॉ. अनीता सूर्यनारायण ने कहा कि डाइबेटिक न्यूरोपैथी, नर्व से जूड़े रोग  और मोटापा जैसे फैकटर हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. टाइप 1 डायबिटीज मरीजों को ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम ज्यादा होता है.

इसके अलावा डायबिटीज रोगी ‘द डाइबिटिक हैंड सिंड्रोम’ स्थिति को लेकर भी ज्यादा सेंसिटिव होते हैं, जिसमें धीरे-धीरे हाथों की ऊंगलियां सहनशील होने लगती हैं. डायबिटीज रोगी ऐसी स्थितियों और डिसऑर्डर से बचने के लिए लगातार जांच करवाएं और सावधानी बरतें.

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, डायबिटीज से 2012 में पूरी दुनिया में 15 लाख लोगों की मौत हुई थी. 2014 में 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित थे. विश्व में 2030 तक कई बीमारियों से होने वाली मौतों में डायबिटीज सातवां रोग हो सकता है. साथ ही डब्ल्यूएचओ ने साउथ-इस्ट एशियाई देशों को इस पर कंट्रोल करने के लिए आगाह भी किया है.

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