जानिये थायराइड रोग क्यों होता है और इससे सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी-

बिजी लाइफ स्टाइल और अस्वस्थ खान-पान के कारण आजकल थायराइड के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कुछ लोग थायरायड को साइलेंट किलरहैं क्योंकि इसके लक्षण बहुत देर में पता चलते हैं। ज्यादातर महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार होती हैं। थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। ये तितली के आकार की होती है। ये हार्मोन हमारे शरीर की एनर्जी, प्रोटीन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता को कंट्रोल करता है। ये ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है।

थायराइड के लक्षण
शरीर में थायराइड होने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे शरीर में कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं। थायराइड के सामान्य लक्षणों में जल्दी थकान, शरीर सुस्त रहना, थोड़ा काम करते ही एनर्जी खत्म हो जाना, डिप्रेशन में रहने लगना, किसी भी काम में मन न लगना, कमजोरी आना और मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना आदि हैं। जिससे आम जिंदगी में लोग ध्यान नहीं देते जो बाद मेंबीमारी का रूप ले लेती है।

क्या है थायराइड ग्रंथि
थायराइड कोई रोग नहीं बल्कि एक ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से ये रोग होता है। पर लोग आम भाषा में इस समस्या को भी थायराइड ही कहते हैं। थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि है जो एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। थायराइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्लैंड से होता है जबकि पिट्यूटरी ग्लैंड को हाइपोथेलमस कंट्रोल करता है। थायराइड ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाना है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहे। ये ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन बनाती है। एक टी3 जिसे ट्राई-आयोडो-थायरोनिन कहते हैं और दूसरी टी4 जिसे थायरॉक्सिन कहते हैं। जब थायराइज से निकलने वाले ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं तो थायराइड की समस्या हो जाती है।

जांच के तरीके
किसी भी समस्या को ले कर जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो सबसे पहले वो इसके लक्षणों से रोग की पहचान करता है। अगर डॉक्टर को थायराइड की संभावना समझ आती है, तो वो खून में टी3, टी4 और टीएसएच हार्मोन की जांच करता है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड के द्वारा थायराइड और एंटी थायराइड टेस्ट होता है। शरीर में जब पिट्युटरी ग्लैंड ठीक तरह से काम नहीं करता तो थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाला हार्मोन यानि थायरायड स्टिमुलेटिंग ठीक तरह से नहीं बन पाता और इसकी वजह से थायराइड से बनने वाले टी3 और टी 4 हार्मोन्स में असंतुलन आ जाता है।

बच्चे को बचाएं 
आजकल कम उम्र के बच्चे भी थायराइड जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं जिसकी वजह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है। इससे बचाव के लिए बच्चों को बचपन से ही नियमित व्यायाम, योग और प्रणायाम की आदत डालें। सिर्फ पढ़ते रहने, टीवी देखने, गेम खेलने या लेटे रहने के बजाय बच्चों को बाहर निकलने और थोड़ा खेलने के लिए प्रेरित करें। बच्चा अगर बचपन से शारीरिक मेहनत नहीं करेगा तो आगे चलकर उसे थायराइड, डाइबिटीज, ओबेसिटी, बल्ड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ सकता है।
बिमारियों से लड़ने के लिए अपने खान पान पर नियमित ध्यान दे और समय समय पर अपने चिकित्सक की सलाह जरूर ले।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here