क्या पार्टी नेताओं की खींचतान को रोक पायेगें अमित शाह?

देहरादून; विधायकों के तल्क तेवर से भाजपा की उड़ी नींद! शाह के दो दिवसीय दोरे को लेकर दून में तैयारियां तेज हो चुकी हैं, जहां साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है तो वहीं सरकारी अधिकारियों की नींद उड़ी हुई है। इसी प्रकार प्रदेश में पार्टी की अंर्तकलह भी प्रदेश के मुखिया के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।
19 सितंबर को दो दिवसीय दौरे पर बीजेपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो बीजेपी के कई विधायक शाह से अकेले में मिलने की मांग कर रहे हैं। हाल ही में हरिद्वार में हुए बीजेपी नेताओं के सर्मथकों के बीच हुए झगड़े के बाद दून में शराब की दुकानों को लेकर मेयर विनोद चमोली एंव विधायक और मुख्यमंत्री की बातों की सुर्खियां इस ओर इशारा कर रही हैं कि सत्तासीन कई विधायक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से काफी नाराज चल रहे हैं। कई विधायकों ने तो खुद को मंत्री बनाए जाने को लेकर आलाकमान के पास अपनी नाराजगी दर्ज कराई है। साथ ही गाए-बजाए मीड़िया में भी बयान बाजी करते रहे हैं।
जानें शाह के किन-किन कार्यक्रमों को कवर कर सकती है मीड़िया
19 सितम्बर
1. आगमन जॉलीग्रांट एयरपोर्ट, प्रातः 9.30 बजे, स्वागत रू एयरपोर्ट, डोईवाला, रिस्पनापुल, आराघर चैक, सर्वे चैक व दिलाराम चैक।
2. बैठक रू प्रदेश पदाधिकारी , जनप्रतिनिधि व अन्य, प्रातः 11 बजे, होटल मधुबन रू केवल छायांकन हेतु, प्रवेश – पार्टी मीडिया पास पर
3. प्रबुद्ध गोष्ठी, ओएनजीसी घोष ऑडिटोरियम कौलागढ़ रोड साँय 6 बजे, प्रवेश – पार्टी मीडिया पास पर।
20 सितम्बर
1. भाजपा प्रदेश कार्यालय आगमन – प्रातः 10.30 बजे, स्वागत, पुस्तकालय उदघाटन के उपरांत विभाग प्रकल्प बैठकरू कार्यालय आगमन पर परिसर व बैठक के प्रारम्भ समय बैठक हाल में केवल छायांकन हेतु, प्रवेश – पार्टी मीडिया पास पर
2. कार्यकर्ता के आवास पर भोजन, अपराह्न 1.00 बजे, केवल छायांकन हेतु, प्रवेश- पार्टी मीडिया पास पर
3. प्रेस वार्ता, अपराह्न 1.30 बजे ,होटल मधुबन, ( पहले सहभोज तदुपरान्त प्रेस वार्ता) प्रवेश- पार्टी मीडिया पास पर
4. मण्डल से लेकर प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों व जनप्रतिनिधियों का सम्मेलन, सर्वे ऑफ इंडिया हाथीबड़कला स्टेडियम, अपराह्न 3 बजे, सम्मेलन उद्घाटन अवसर पर केवल छायांकन हेतु, प्रवेश – पार्टी मीडिया पास पर।
5. राज्य सरकार के मंत्रियों व कोर ग्रुप के साथ बैठक, रात्रि 8 बजे, बीजापुर अतिथि गृह, केवल छायांकन हेतु, प्रवेश- पार्टी प्रवेश पास पर।
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक व्यापारी के घर हुआ था। जो कि गुजरात के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते हैं। बता दें कि उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है। शाह की शुरुआती पढ़ाई मेहसाणा में हुई जिसके बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आ गए, जहां से उन्हांेने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की। जिसके बाद वह अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। पता हो कि राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। शाह बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में उनके अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई। 1983 में वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े बस यहीं से उन्होंने छात्र जीवन में राजनीतिक रुझान बना लिया और फिर कभी पिछे मुड़कर नही देखा। बता दें कि शाह और उनकी पत्नी सोनल शाह का एक बेटा भी है जिसका नाम जय है। अमित शाह अपनी माँ के बेहद करीब थे, जिनकी मृत्यु उनकी गिरफ्तारी से एक माह पूर्व 8 जून 2010 को एक बीमारी के चलते हो गई।
राजनीतिक करियर
शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुए और 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का सदस्य बनाया दिया गया। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका 1991 में मिला, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला था। फिर दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का पूरा जिम्मा संभाला। पेशे से स्टॉक ब्रोकर अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वह गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 2003 से 2010 तक उन्होंने गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला।

 

2012 में नारनुपरा विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र से उनके विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले उन्होंने तीन बार सरखेज विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। शाह गुजरात के सरखेज विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार क्रमश 1997 (उप चुनाव), 1998, 2002 और 2007 से विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। जिस प्रकार हाल ही में कई राज्य में हुए चुनावों में शाह ने चाण्क्य निती मौजूदा समय में शाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों की मानें तो शाह सुर्खियों में तब आए जब 2004 में अहमदाबाद के बाहरी इलाके में कथित रूप से एक फर्जी मुठभेड़ में 19 वर्षीय इशरत जहां, जीशान जोहर और अमजद अली राणा के साथ प्रणेश की हत्या हुई थी। गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि 2002 में गोधरा बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए ये लोग गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने आए थे। इस मामले में गोपीनाथ पिल्लई ने अदालत में एक आवेदन देकर मामले में अमित शाह को भी आरोपी बनाने की अपील की थी। हालांकि 15 मई 2014 को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने शाह के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण इस सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ के मामले में शाह को 25 जुलाई 2010 में गिरफ्तारी का सामना भी करना पड़ा। शाह पर आरोपों का सबसे बड़ा हमला खुद उनके बेहद खास रहे गुजरात पुलिस के निलंबित अधिकारी डीजी बंजारा ने किया था। सोलहवीं लोकसभा चुनाव के लगभग 10 माह पूर्व शाह दिनांक 12 जून 2013 को भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया, बड़ी बात यह है कि उस वक्त प्रदेश में भाजपा की मात्र 10 लोक सभा सीटें ही थी। उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा जब 16 मई 2014 को सोलहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आए। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल कीं। प्रदेश में भाजपा की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। इस बड़ी जीत के शिल्पकार रहे अमित शाह का कद पार्टी के भीतर इतना बढ़ गया कि उन्हें सीधे भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर विराजमान कर दिया गया।

 

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