जब जलती चिताओं के पास नाच-गाना होने लगे और जब मौत कि खामोशी डांस की मस्ती में बदल जाए तो चौंकना लाजमी है… हम बात कर रहे हैं काशी के उस श्मशान घाट की जिसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ चिता पर लेटने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके बारे में कहा जाता है कि यह दुनिया का इकलौता श्मशान घाट है जहां चिता की आग कभी भी ठंडी नहीं होती और जहां लाशों का आना और चिता का जलना कभी नहीं थमता.
आज हम आपको काशी के श्मशान घाट के एक ऐसे वाक्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकार आपको बहुत हैरानी होगी. बता दें कि यहाँ साल में एक दिन चिता और महफिल एक साथ सजती है और इन दोनों के एक साथ का गवाह बनता है काशी का मणिकर्णिका श्मशान घाट….पूरे साल में यह मौका मात्र एक बार आता है और इसी दिन इस श्मशान घाट के पास मौजूद शिव मंदिर में शहर कि कई तवायफ सम्मलित होती हैं और उसके बाद यह सभी भगवान शिव के सामने जी भरके नाचती हैं.
यह तवायफ जीते-जी मोक्ष कि प्राप्ति के लिए आती हैं. ये वो मौक्ष होता है जो उन्हें अगले जन्म में तवायफ नहीं बनने यकीन दिलाता है. आपको बता दें कि इन्हें यकीन है कि इस एक रात में यह जी भरकर नाचेंगी तो इन्हें अपने अगले जन्म में तवायफ का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा….लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि ना ही इन्हें यहाँ कोई जबरदस्ती से लाता है और ना ही पैसे देकर….