कानपुर देहात में हुए रेल हादसे ने तो न जाने कितने मासूमों की जिंदगी छीन ली। सुबह लगभग 3 बजे हुआ था हादसा। अनचाही आवाज हुई और ट्रेंक से उतर गई रेल की 14 बोगियां यात्री गहरी नींद में थे। अब कुछ नींद में ही रहेंगे हमेशा।
पटना इंदौर एक्सप्रेस हादसे ने न जाने कितनी जिंदगियों को मौत के आगोश में धकेल दिया। किसी को गहरे जख्म दिए तो किसी को असहनीय पीड़ा। इसी बीच लगभग ढ़ाई साल की मासूम बच्ची दिखी इधर उधर देख रही थी। बच्ची का नाम सष्टि है।उसकी मासूम आंखे जैसे पूछ रही थी कि ये क्या हो रहा है। जिसे मालूम ही नही कि अब उसके मम्मी पापा उसके साथ ही नही। रेल हादसे ने खत्म कर दी उनकी सांसे।सफर में इस बच्ची के साथ उसके चाचा भी थे, जो जख्मी हैं. बार-बार अपनी भतीजी से प्यार जता रहे हैं. चाचा का रो-रोकर बुरा हाल है…
ऐसे ही न जाने कितने लोग है जिन्हें अब अपनों से बिछड़ने का गम उम्रभर सताएगा। और हर बार ट्रेन का सफर उनके रौंगटे खड़े कर देगा।