अपर सचिव सुशील कुमार डेंगू की चपेट में,दून के निजी अस्पताल में भर्ती

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देहरादून। उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप विकराल रूप ले रहा है। राजधानी समेत प्रदेशभर में अब तक डेंगू के करीबन 947 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। आम जनता तो डेंगू के डंक की गिरफ्त में है ही, अब प्रशासन में भी कई अधिकारी  डेंगू की मार झेल रहे है। अपर सचिव सुशील कुमार निदेशक पंचायती राज भी डेंगू की चपेट में है। अब आप सोचिए कि जब सचिवालय में डेंगू से बचने के लिए कोई खास प्रबंध नही किए गए तो राज्य में आम लोगों के क्या हाल होंगे।
प्रदेशभर में सैकड़ों लोग डेंगू की चपेट में है। राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग भले ही डेंगू के लिए पुख्ता इंतजाम होंने की बात कर रहा है। पर इन खोखली बातों की सच्चाई राज्य में बढ़ रहे डेंगू के मरीज सामने ला रहे है। हाल तो ये है कि राजधानी का सचिवालय भी डेंगू के डंक से नही बच पाया। खबर है कि अपर सचिव सुशील कुमार निदेशक पंचायती राज भी डेंगू की चपेट में है। गंभीर हालत के चलते उनको दून के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ये तो मात्र एक मामला है जो सचिवालय में डेंगू से बचाव के प्रबंध की पोल खोल रहा है। सवाल उठता है कि अगर डेंगू के डंक से सचिवालय ही सुरक्षित नही तो प्रदेश में और  जगहों के क्या हाल होंगे। अगर प्रशासन ही बिमार हो जाएगा तो जनता की सुध कौन लेगा। दिन प्रतिदिन बढ़ रही डेंगू की मरीजों की संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि  प्रदेश सरकार के डेंगू से लड़ने के हवाई इंतजाम कितने पुख्ता है.

स्वास्थ्य महानिदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार  प्रदेश में 947 रोगियों में डेंगू पॉजिटिव पाया गया है। हरिद्वार के 59, नैनीताल के 45 और पौड़ी के एक मरीज में भी डेंगू पाया गया है। वहीं पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के 20 रोगियों में भी डेंगू की पुष्टि हुई है।
ये तो बस सरकारी आंकड़े है जो डेंगू के मरीजों की संख्या बता रहे हैं। प्राइवेट अस्पतालों में उपचार करवाने वाले मरीजों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। और तो और प्राइवेट अस्पताल डेंगू मरीजों से मनमाने रूपए एठनें में लगे हैं वहीं प्राइवेंट पैथ लैब भी डेंगू सैंपल जांच के मनमाफिक पैसे वसूल रहे है। स्वास्थ्य महकमा हर दिन डेंगू के निपटारें की बात कर रहा है। पर मरीजों की दिन प्रतिदिन बढ़ती संख्या ने महकमे के होश उड़ा दिए है। कई लोगों ने शिकायत भी की है कि प्राइवेट लैब मनमाने पैसे वसूल कर सैंपल की जांच कर रही हैं। और आर्थिक तंगी के चलते वो प्राइवेट लैब से सैंपल जांच नही करा सकते। स्वास्थ्य महकमें की तरफ से अभी तक प्राइवेट लैंब के लिए कोई भी निर्देश जारी भी नही किए गए है जो लैब में जांच की कीमतों पर नकेल कसे।
डेंगू से राज्य में कई मौते भी हो चुकी है पर अभी तक स्वास्थ्य महकमा नींद में है। और मामलों को छुपाने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। इसे स्वास्थ्य महकमें की लापरहवाही ही कहेंगे कि प्रदेश में डेंगू से लोगों की मौत हो रही है। इसके बावजूद अभी तक विभाग मरीजों को पूरी सुविधा देने में नाकाम है।

 

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