11 नवंबर को उपनल कर्मचारी करेंगे सचिवालय कूच, हड़ताल का किया ऐलान।

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देहरादून – राज्य के उपनल कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल का ऐलान कर दिया है। उनके अनुसार, अगर सरकार उनकी मांगों पर गौर नहीं करती है, तो 22,000 कर्मचारी कल से ही हड़ताल पर चले जाएंगे। इसके साथ ही उपनल कर्मचारी सचिवालय की ओर कूच करेंगे।

उपनल कर्मचारियों का सचिवालय कूच
उपनल कर्मचारियों का आंदोलन लंबे समय से चल रहा था, और अब उन्होंने इसे अगले स्तर पर ले जाने का फैसला किया है। उपनल कर्मचारी संगठन ने 11 नवंबर को सचिवालय कूच की घोषणा की है। उनका कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो संगठन से जुड़े सभी 22,000 कर्मचारी हड़ताल पर चले जाएंगे। यह हड़ताल राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का हिस्सा होगी।

राज्य निगम कर्मचारी महासंघ का समर्थन
उपनल कर्मचारियों के आंदोलन को राज्य निगम कर्मचारी महासंघ और हाईड्रो इलेक्ट्रिक इंपलाइज यूनियन ने भी समर्थन दिया है। इन संगठनों का कहना है कि उपनल कर्मचारियों के हक में जो सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, वह पूरी तरह से सही है और सरकार को इसे मानना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सरकार की याचिका
इससे पहले अक्टूबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था। यह याचिका हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें उपनल कर्मचारियों को समान काम के लिए समान वेतन देने और उनके नियमितीकरण का आदेश दिया गया था। हाईकोर्ट ने 2018 में अपने फैसले में उपनल कर्मचारियों के हक में यह निर्णय सुनाया था।

आंदोलन तेज होगा अगर सरकार ने नहीं लिया कदम
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद सरकार ने रिव्यू पिटिशन दाखिल करने का संकेत दिया है, जिसके बाद उपनल कर्मचारियों ने अपना आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों का समाधान नहीं होगा, वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।

आंदोलन और हड़ताल के पीछे मुख्य मांगें
1. समान काम, समान वेतन: उपनल कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग समान काम के लिए समान वेतन है।
2. नियमितीकरण: कर्मचारियों का कहना है कि वे कई सालों से अस्थायी रूप से काम कर रहे हैं, और उन्हें नियमित किया जाना चाहिए।
3. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन: उपनल कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करना चाहिए।

अगर सरकार उपनल कर्मचारियों की मांगों को नजरअंदाज करती है, तो उनका कहना है कि आंदोलन और हड़ताल को और बढ़ाया जाएगा, और कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ सकती है।

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