जम्मू – जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। एलओसी पर भारतीय सेना और पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम के बीच फायरिंग हुई। इस दौरान एक घुसपैठिया मारा गया है। वहीं एक जवान का बलिदान हो गया। एक जवान घायल बताया जा रहा है। कुपवाड़ा के माछिल क्षेत्र में सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है।
एक जवान का बलिदान और चार अन्य घायल
सेना ने जानकारी देते हुए कहा कि फायरिंग में एक जवान का बलिदान हो गया है। और कैप्टन समेत अन्य चार जवान घायल हो गए हैं। भारतीय सेना के चिनार कॉर्प्स ने जानकारी देते हुए बताया कि नियंत्रण रेखा पर माछिल सेक्टर के कामकारी में एक चौकी पर अज्ञात लोगों ने फायरिंग कर दी। जिसमें एक पाकिस्तानी नागरिक मारा गया है। जिसमें हमारे दो सैनिक घायल हुए हैं और उन्हें निकाल लिया गया है।
J&K | Macchal encounter: Indian Army troops have foiled a Pakistani Border Action Team (BAT) attack on the Line of Control against Indian forces. The BAT team involved in the attack is suspected to have regular Pakistan Army troops including their SSG commandos who work closely… pic.twitter.com/UF4ueFa2yY
— ANI (@ANI) July 27, 2024
रक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, माछिल सेक्टर में मुठभेड़ हुई है। भारतीय सेना ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तानी बोर्ड एक्शन टीम (BAT) ने भातीय सेना के जवानों पर एलओसी पर हमला कर दिया। इस हमले में पाकिस्तान की सेना भी शामिल थी। जो कि आतंकी संगठनों के साथ मिलकर काम करती है।
जम्मू में बढ़ती आतंकी वारदातें
वर्ष 2008 के बाद एक बार फिर लगातार आतंकी वारदातों से लोग डरे और चिंतित हैं। पिछले 46 दिन से सात आतंकी वारदातों में 11 सैन्य जवान बलिदान हो चुके हैं और 10 आम नागरिकों की मौत हो गई। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अब इस पर निर्णायक रणनीति का समय आ चुका है। हर बार आतंकी हमला कर गायब हो गए। इन आतंकियों की जंगलों में अब भी मौजूदगी लोगों को परेशान कर रही है।
सेना के पूर्व कर्नल सुशील पठानिया का कहना है कि बीहड़ और कठिन इलाकों में जल्दबाजी में आतंकवादियों का पीछा करने से हमारे सैनिकों को हाईनि हो रही है। जिन इलाकों में आतंकवादियों के होने की सूचना है। यहां वहां ग्रेनेड, मोर्टार और गनशिप हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करके उन्हें मार गिराया जाना चाहिए। इस रणनीति का इस्तेमाल पहले भी किया जा चुका है और इसके बहुत अच्छे परिणाम मिले हैं।
पूर्व डीजीपी एसपी वेद कहते हैं कि पहले भी आतंकी वारदातें होती थीं। तब आतंकी फिदायीन के रूप में आते थे। हमला कर सात आठ लोगों को मारा और खुद भी मर गए। लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। वह मारने से पहले भागने का रास्ता तय कारते हैं। ताकि एक हमला करने के बाद फिर से हमला कर सकें। यह आतंकियों की नई रणनीति है। वह अब फिदायीन बनकर नहीं आते। वह अपने लिए ठिकाना बनाते हैं। फिर घात लगाकर हमला करते हैं। हमला कर भाग जाते हैं। वह जंगल, पहाड़ और युद्ध में लड़ने का प्रशिक्षण लेकर आए हैं। इन तक पहुंचने के लिए ठोस रणनीति बनानी पड़ेगी। पूर्व कर्नल सुशील पठानिया कहते हैं कि सुरक्षा बलों को आतंकवाद विरोधी अभियान चलाते समय सेक्शन और प्लाटून अभ्यास पर ही टिके रहना चाहिए।