देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को देहरादून में आयोजित भव्य कार्यक्रम में 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने योग को भारत की चेतना, विरासत और सॉफ्ट पावर का प्रतीक बताया और कहा कि योग न केवल व्यक्ति और समाज को जोड़ता है, बल्कि अब वैश्विक सेतु बन चुका है। उन्होंने सभी नागरिकों से योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की अपील की और कहा कि “Prevention is better than cure” की भावना को योग पूरी तरह साकार करता है।
कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने योग को भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा बताया, जिसने दुनिया को स्वास्थ्य, शांति और समरसता का संदेश दिया है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे नियमित योग अपनाकर स्वस्थ भारत के निर्माण में भागीदार बनें।
इस अवसर पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से तैयार की गई राज्य की पहली ‘योग नीति–2025’ की विशेषताएं साझा कीं। उन्होंने बताया कि इस नीति के तहत उत्तराखंड को भारत का पहला योग उद्यमिता और अनुसंधान हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
🔹 योग नीति 2025 के मुख्य बिंदु:
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योग और ध्यान केंद्र खोलने पर 20 लाख रुपये तक का पूंजीगत अनुदान
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योग अनुसंधान हेतु 10 लाख रुपये तक का शोध अनुदान
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योग निदेशालय की स्थापना, और योग सर्टिफिकेशन को प्राथमिकता
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2030 तक 5 नए योग हब्स की स्थापना
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2026 तक सभी आयुष हेल्थ व वेलनेस सेंटर्स में योग सेवाएं
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योग संस्थाओं का 100% पंजीकरण और विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफॉर्म
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मार्च 2028 तक 15–20 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से साझेदारी का लक्ष्य
मंत्री ने कहा कि यह नीति राज्य की आध्यात्मिक ऊर्जा और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक अवसरों से जोड़ने का माध्यम बनेगी और उत्तराखंड को वैश्विक योग मानचित्र पर अग्रणी स्थान दिलाएगी।