देहरादून – उत्तराखंड सरकार ने दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस लगाने का निर्णय लिया है। यह व्यवस्था हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर शुरू की जा रही है, जिससे राज्य को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी। ग्रीन सेस के माध्यम से उत्तराखंड को सालाना करोड़ों रुपये का राजस्व मिलेगा, जो बाहरी वाहनों से प्रवेश शुल्क के रूप में लिया जाएगा।
Green Cess Imposed on Vehicles Entering Uttarakhand
उत्तराखंड परिवहन विभाग की योजना है कि राज्य की सीमाओं पर लगे 17 कैमरों को नई तकनीक से जोड़ा जाए। इस नए सिस्टम के तहत अब ग्रीन सेस को केवल भारी कमर्शियल वाहनों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि यह निजी और छोटे वाहनों पर भी लागू किया जाएगा। वर्तमान में यह शुल्क मैन्युअल प्रक्रिया से लिया जाता है, जिसमें प्रति वाहन 40 से 80 रुपये तक वसूले जाते हैं। लेकिन नई प्रणाली के तहत यह प्रक्रिया ऑनलाइन, फास्ट टैग या वॉलेट के माध्यम से पूरी की जाएगी, जिससे वसूली में गति और पारदर्शिता आएगी।
Expected Revenue Surge
हालांकि, फिलहाल भारी वाहनों से वसूला जाने वाला ग्रीन सेस उत्तराखंड को सालाना 5 से 6 करोड़ रुपये की आय देता है, लेकिन नई व्यवस्था के बाद यह आंकड़ा बढ़कर 75 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। सरकार इसे और बढ़ाने पर विचार कर रही है। यदि शुल्क की दर दोगुनी की जाती है, तो राज्य को 120 से 150 करोड़ रुपये तक की आय हो सकती है।
Automated System to be Implemented
नई व्यवस्था को सफल बनाने के लिए परिवहन विभाग एक निजी कंपनी की मदद से ऑटोमेटिक ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम लागू करेगा। इस प्रक्रिया के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, और दिसंबर के पहले हफ्ते तक कंपनी का चयन किया जाएगा। जनवरी से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक डाटा सेंटर स्थापित किया जाएगा, जिसमें उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले सभी वाहनों की जानकारी दर्ज की जाएगी।
Intelligent Tolling System to Assist
नई व्यवस्था के तहत इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम (ITS) की मदद से कैमरों के जरिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तकनीक राज्य को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त करेगी, बल्कि राजस्व संग्रहण प्रक्रिया को भी अधिक सुगम बनाएगी।
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