क्या कारण हैं इसके
इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं जैसे: देर रात तक जागना, खानपान की आदतों का खराब होना, डिप्रेशन और मेनोपॉज जल्द हो जाना, इस बीमारी का प्रतिशत हर रोज बढ़ता जा रहा है और इसके शिकार स्कूली बच्चे भी हो रहे हैं. इस बीमारी में लोग अकारण डर के शिकार हो जाते हैं और बिना बात के ही जल्दी हाइपर होने लगते हैं, यह बीमारी ज्यादातर नकारात्मक सोच रखने वालों को अपनी गिरफ्त में लेती है, बच्चों में भी इस तरह एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर देखने को मिल रहा है, यह ऐसे लोगों के साथ होता है जो लोग अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते हैं।
कैसे करें बचाव
अपने दिमाग में सकारात्मक भाव लाने के प्रयास करें, मन की बातों को किसी करीबी से शेयर करें या फिर अपनी भावनाओं को डायरी में लिखना शुरू कर दें, इस समस्या को समय रहते ठीक करना बहुत जरुरी है, रात में सोते समय आप अच्छी किताब पढ़ने की आदत डालें, साथ ही लड़ाई-झगड़े वाली मूवीज और गेम्स से दूर रहें।
रुटीन को बनाएं रखें
अपने डेली रुटीन को बनाएं रखें. सोने से पहले कुछ जरूरी काम करने की आदत डालें जैसे: गहरी सांस लेना, अपने तकिए पर लैवेंडर के तेल की कुछ बूंदें लगाए, कैमोमाइल चाय पीएं, सॉफ्ट म्यूजिक सुनें, म्यूजिक सुनने से दिमाग को आराम मिलता है और वह नकारात्मक भाव से दूर रहता है, ब्लड प्रेशर को नाॅर्मल रखने के लिए व्यायाम करें जिससे आपको अच्छी नींद आएगी।