देहरादून – निकाय चुनावों में प्रमुख बनने वाले मलिन बस्तियों के मुद्दे के बीच, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के एक ताजे आदेश ने खलबली मचा दी है। एनजीटी ने रिस्पना के बाढ़ क्षेत्र में बसी झुग्गी बस्तियों को लेकर राज्य सरकार से अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इसके साथ ही शहरी विकास सचिव, सिंचाई सचिव, देहरादून डीएम और अन्य अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से एनजीटी में पेश होने का निर्देश दिया गया है।
रिस्पना किनारे स्थित बाढ़ क्षेत्र में बसी इन बस्तियों को लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ निरंजन बागची ने एनजीटी में शिकायत की थी। इसके बाद एनजीटी ने बस्तियों को हटाने का आदेश दिया था। जिलाधिकारी ने 89 अतिक्रमण चिन्हित किए थे, जिनमें से 69 को हटाने की रिपोर्ट एनजीटी को भेजी थी। हालांकि, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस मामले में कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
इस बीच, राज्य सरकार के मलिन बस्तियों पर बने अध्यादेश के बारे में भी एनजीटी को जानकारी दी गई। इस पर एनजीटी ने कहा कि इस मामले में राज्य नहीं बल्कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय का कानून लागू होगा। एनजीटी ने सरकार से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत रिस्पना किनारे से अतिक्रमण हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी, और शहरी विकास सचिव नितेश झा ने बताया कि एनजीटी के आदेश का अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बस्तियां हटाने का कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया है, और इसके खिलाफ अपील की जाएगी।
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