देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने यौन अपराधों का शिकार होने वाले बच्चों के लिए एक अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि अब बच्चों को अस्पताल में इलाज से लेकर अदालत की कार्यवाही पूरी होने तक भावनात्मक मदद के लिए सहायक उपलब्ध कराया जाएगा। महिला एवं बाल कल्याण विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि राज्य के सभी जनपदों में पॉक्सो पीड़ित बच्चों को चिकित्सा और कानूनी सहायता दिलाने के लिए सहायकों का एक पैनल बनाया जाएगा।
प्रशांत आर्य के अनुसार, पॉक्सो की ज्यादातर वारदातें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में होती हैं, जहां अभिभावकों को अस्पताल, पुलिस और अदालत की कार्यवाही में कठिनाई महसूस होती है। इस कारण से सरकार ने यह पहल की है, ताकि पीड़ित बच्चों को चिकित्सा सुविधा और कानूनी प्रक्रिया में सहायता मिल सके।
विभाग की उप मुख्य परिवीक्षा अधिकारी अंजना गुप्ता ने बताया कि सहायकों को चार चरणों में कुल 20,000 रुपये का मानदेय दिया जाएगा। यह भुगतान विभिन्न कार्यों के आधार पर किया जाएगा: नियुक्ति और रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर 5,000 रुपये, साक्ष्य दर्ज होने पर 5,000 रुपये, मासिक रिपोर्ट देने पर 5,000 रुपये और अदालत के फैसले के बाद अंतिम 5,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा।
राज्य में हर जिले में सहायक पैनल का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक सहायक अधिकतम पांच मामलों का संचालन करेगा। इन सहायकों को प्राथमिकता दी जाएगी जो सामाजिक कार्यकर्ता हों और उनके पास समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या बाल विकास में स्नातकोत्तर डिग्री हो या फिर बाल शिक्षा में तीन साल का अनुभव हो।
महिला एवं बाल कल्याण विभाग निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि यह कदम राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की मॉडल गाइडलाइंस को लागू करते हुए उठाया गया है। इन सहायकों का मुख्य कार्य पीड़ित बच्चों को कानूनी प्रक्रिया, भावनात्मक सहायता और पुनर्वास में मदद प्रदान करना होगा।