विज़न 2020 न्यूज: आज पूरे देश में नागपंचमी मनाई जा रही है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करके सांपों को खीर खिलाने और दूध पिलाने से पुण्य मिलता है। पूरे भारत भर में नाग पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस दिन नाग दर्शन का विशेष माहात्म्य है। पर क्या आप जानते हैं नागपंचमी का महत्व और कैसे की जाती है नागदेवता की पूजा। हम आपको बताते है नागपंचमी का महत्व और नागदेवता पूजन की विधि विधान।
नागपंचमी का महत्व–
माना जाता है कि शेषनाग के फन पर पृथ्वी टिकी है। भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं। शिवजी के गले में सर्पों का हार है। कृष्ण जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेवजी ने यमुना पार की थी। यहां तक कि समुद्र-मंथन के समय देवताओं की मदद भी वासुकी नाग ने ही की थी। लिहाजा नाग देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है- नागपंचमी। नाग-पंचमी का पर्व धार्मिक आस्था एवं विश्वास के सहारे हमारी बेहतरी की कामना का प्रतीक है। यह जीव-जंतुओं के प्रति समभाव, हिंसक प्राणियों के प्रति भी दयाभाव और अहिंसा के अभयदान की प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें पर्यावरण से जोड़ता है। सांप खेतों में रहकर कृषि-संपदा (अनाज) को नुकसान पहुंचाने वाले चूहों को खा जाते हैं, इसलिए उन्हें किसानों का मित्र अथवा क्षेत्रपाल भी कहा जाता है। अनेक जीवन-रक्षक औषधियों के निर्माण हेतु नागों से प्राप्त जहर की जरूरत होती है। अत: नाग हमारा जीवन-रक्षक भी है। इसी कारण आधुनिकता के वर्तमान युग में भी नाग-पंचमी का त्योहार प्रासंगिक है। हमारी संस्कृति ने उन सभी जीवों, वनस्पतियों तथा वस्तुओं को सम्मान दिया है, जो हमारे अस्तित्व को बचाने में सहायक हैं। इसी कारण, पर्यावरण-संतुलन में मदद करने वाला सांप देवाधिदेव शिवजी के कंठ का हार बनता है, तो नाग-पंचमी पर वह पूजा जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, नाग महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू की संतान हैं।
नागपंचमी पर नाग पूजन की विधि
1-सुबह उठकर स्नान कर धुले हुए साफ एवं स्वच्छ कपड़े धारण करें।
2- नाग पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएं।
3- कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले ही भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी (ठंडा) खाना खाया जाता है।
4- इसके बाद दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाए, फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवार पर घर जैसा बनाएंऔर उसमें अनेक नागदेवों की आकृति को रखें
5- दीवार पर बनाए गए नागदेवता की दही, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाएं
6- आरती करने के बाद कथा का श्रवण करें और इस दिन नाग देवता के दर्शन अवश्य करें।