MD को मंत्री से बदसलूकी करना पड़ा भारी,फैक्ट्री सील!

बड़ी खबर : बीजेपी मुख्यालय में खचाखच लोगो से भरे हाल में जनता की समस्या सुन रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को एक फोन कॉल ने झंझोड़ कर रख दिया. उत्तराखंड में वन एवं पर्यावरण और श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने एक शख्स की शिकायत पर एक फोन पर हुई बात ने कुछ ऐसा मोड़ ले लिया कि उन्होंने अधिकारियो को दवा फ़ैक्ट्री को बंद करने का फ़रमान दे दिया…

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर मंगलवार को मंत्री हरक सिंह रावत देहरादून स्थित बीजेपी मुख्यालय में जनता और कार्यकर्ताओं की समस्याओं का समाधान करने में लगे थे कि तभी सेलाकुई में स्थित शेरॉन बायो मेडिसिन कंपनी में काम करने वाले वासुदेव जखमोला हरक सिंह रावत के जनता दरबार में पहुंचे. उन्होंने मंत्री को बताया कि वह पिछले आठ सालों से शेरॉन बायो मेडिसिन लिमिटेड में बतौर सीनियर मैनेजर काम कर रहे थे. बीती 17 जुलाई को उन्हें बिना कारण बताए नौकरी से निकाल दिया गया.

शिकायतकर्ता वासुदेव ने कहा कि लगातार कंपनी से बकाया भुगतान और एक्सपीरियंस सर्टिफ़िकेट के लिए संपर्क करते रहे लेकिन उन्हें यह नहीं मिला. उन्होंने कंपनी को कई लीगल नोटिस भी दिए लेकिन कंपनी ने उनका भी जवाब नहीं दिया. वासुदेव की बात सुनने के बाद मंत्री हरक सिंह रावत ने कंपनी के एमडी से बात करने के लिए अपने निजी सचिव को शेरॉन बायो मेडिसिन कंपनी के एमडी से बात कराने को कहा… उनके निजी सचिव ने तीन बार फ़ोन मिलाया लेकिन तीनों बार उनका फ़ोन एमडी ने मीटिंग में होने की बात कहकर काट दिया गया. चौथी बार मंत्री की बात एमडी से हुई और उन्होंने इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा तो एमडी ने यह कहकर फ़ोन काट दिया कि ‘तू होता कौन है पूछने वाला’. इतना सुनना था कि हरक सिंह रावत का पारा चढ़ गया. उन्होंने तत्काल श्रमायुक्त और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कंपनी की जांच के आदेश दिए हैं. मैनेजर की बदतमीजी भरे जवाब को सुनने के बाद मंत्री जी का पारा सातवें आसमान पर चढ़ हुआ है..हलाकि बाद में कंपनी की ओर से हरक सिंह को लगातार फोन पर फोन आने लगे लेकिन मंत्री ने उनकी एक न सुनी और अपने फैसले पर अटल रहे.

वंही मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि उन्हें पहले भी शेरॉन बायो मेडिसिन कंपनी के खिलाफ कई शिकायत मिली है कि फ़ैक्ट्री में नियमों के विरुद्ध 12-15 घंटे तक काम करवाया जाता है… उनके मुताबिक  स्थानीय लोगो ने शिकायत की है कि यह दवा फ़ैक्ट्री क्षेत्र में भारी प्रदूषण फैला रही है. इसलिए उन्होंने श्रम और प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों को जांच के आदेश देने साथ ही रिपोर्ट आने तक फ़ैक्ट्री को बंद करने के आदेश दिए हैं.

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