
विज़न 2020 न्यूज: पहाड़ों की रानी मसूरी में दो सितंबर 1994 को हुए गोलीकांड को शायद ही लोग कभी भूल पाएंगे, दो सितंबर की सुबह मौन जुलूस निकाल रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस दिन फायरिंग के कारण शांत रहने वाली पहाड़ों की रानी मसूरी के वातावरण में बारूदी गंध फैल गई। खटीमा गोलीकांड जिसमें 7 राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे, उसके ठीक एक दिन बाद दो सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड में भी 6 राज्य आंदोलनकारी शहीद हो गए थे। अपने अलग राज्य की मांग कर रहे निहत्थे आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां बरसा दी थी। फायरिंग में सिर पर गोली लगने से दो महिलाएं हंसा धनाई और बेलमती चौहान वहीं ढेर हो गईं जबकि चार अन्य आंदोलनकारी और पुलिस के सीओ उमाकांत त्रिपाठी भी पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए। इनमें राय सिंह बंगारी, धनपत सिंह, मदनमोहन ममगाईं और युवा बलवीर नेगी शामिल थे। अपने अलग राज्य की मांग को लेकर इन शहीद आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों को ही न्यौछावर कर दिया था। मसूरी गोलीकांड की 22 बरसीं पर पूरे प्रदेश के साथ-साथ विज़न 2020 न्यूज भी इन शहीदों की शहादत को सलाम करता है।..धन्य है यह राज्य जहां ऐसे वीर सपूतों ने जन्म लिया…