विज़न 2020 न्यूज: हाल ही में ओडिशा में एक मजबूर पति को अपनी मृत पत्नी के शव को कंधे पर लाद कर 12 किलोमीटर पैदल चलने की खबर से भी सरकार की नींद नहीं खुली है। कुछ इसी तरह का मामला कानपुर में देखने को मिला है, जहां एक बीमार बच्चे की मौत उसके पिता के कंधे पर ही हो गई। बताया जा रहा है कि कानपुर निवासी सुनील के बेटे अंश को तेज बुखार के बाद शहर के एक अस्पताल में लाया गया, डॉक्टरों ने उसे बाल रोग विभाग जाने को कह दिया। अस्पताल से बाल रोग विभाग की दूरी महज़ 250 मीटर है, बच्चे की स्थिति गंभीर होने के बावजूद भी अस्पताल की ओर से स्ट्रेचर नहीं दिया गया। मजबूरन सुनील अपने अचेत बेटे को कंधे पर लेकर भटकता रहा। थोड़ी दूर जाने के बाद उसे महसूस हुआ कि उसका अंश अब नहीं रहा….बेटे की मौत के बाद सुनील पूरी तरह से टूट चुका है। सुनील को प्रशासन से कोई शिकायत नहीं है। वह रोते हुए अपने घर चला गया। सुनील की चुप्पी के कारण इस मामले पर कोई FIR दर्ज नहीं हुई हैं, अब भले ही अस्पताल या प्रशासन के लिए ये मामूली बात हो, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये कि इस मामले में दोषी कौन है?