वरिष्ठ पत्रकार अजीत राठी के समर्थन में आए पत्रकार, करन माहरा ने भी नोटिस पर उठाए सवाल

ajeet rathi

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार अजीत राठी को हाल ही में कानूनी नोटिस भेजे जाने को लेकर उत्तराखंड में चर्चाओं के बाजार गर्म हैं। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भई उनके समर्थन में उतर आए हैं। उनका कहना है कि देश में सच बोलना अब अपराध बन गया है।

वरिष्ठ पत्रकार अजीत राठी के समर्थन में आए पत्रकार

प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार अजीत राठी को लीगल नोटिस भेजने को लेकर अब पत्रकार उनके समर्थन में उतर आए हैं। बता दें कि अजीत राठी ने सोशल मीडिया पर लिखी अपनी एक पोस्ट में राज्य के आईटी पार्क क्षेत्र की जमीन को लेकर सरकार और सिडकुल के बीच हुए एक कथित भूमि आवंटन को लेकर सवाल उठाए थे।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि आईटी पार्क की जमीन को 90 साल की लीज पर एक निजी कंपनी को देने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने इसे जनता के हितों और राज्य की नीतियों के खिलाफ बताया। इस पोस्ट के बाद उन्हें कथित तौर पर सरकारी पक्ष से एक कानूनी नोटिस भेजा गया है। इस नोटिस के बाद अब पत्रकार अजीत राठी के समर्थन में सोशल मीडिया पर #IStandWithAjitRathi लिख रहे हैं और नोटिस को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को आलोचना और सवालों का स्वागत करना चाहिए, न कि पत्रकारों को डराने-धमकाने की कोशिश करनी चाहिए।

करन माहरा भी उतरे समर्थन में

पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा भी अजीत राठी के समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने अजीत राठी को नोटिस भेजने को लेकर सावल उठाए हैं। उनका कहना है कि देश में सच बोलना अपराध हो गया है। एक पत्रकार अगर जनता के हित के लिए सच बोलता है तो उसे नोटिस भेजा जाता है। इसके साथ ही उसके घर पर पुलिस वालों को भेजकर पत्रकार और पत्रकार के घर वालों को डराने की कोशिश की जाती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की डबल इंजन की सरकार जनता के सवालों के जवाब देने के बजाय सावल पूछने वालों को चुप कराने में व्यस्त है।

मैं राज्यहित के मुद्दे उठाता रहूंगा – अजीत राठी

अजीत राठी ने उन्हें मिले नोटिस को लेकर सोशल मीडिया पर लिखा है कि नोटिस देने से पहले मेरी गैरमौजूदगी में तीन दिन तक खाकी वर्दी में सरकारी लोग गए। ये सब मेरे परिवार पर मानसिक दबाव बनाने के लिए किया गया लेकिन ये कोशिश बेकार साबित हुई। उन्होंने कहा कि नोटिस मिलते रहे लेकिन वो राज्यहित के मुद्दे उठाते रहेंगे।

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