Jammu and Kashmir: कठुआ जिले में बीते दिनों भारी बारिश ने तबाही मचाई। ढग्गर गांव के गुलशन कुमार के लिए यह बारिश जिंदगी का सबसे दुखद मोड़ लेकर आई। गर्भवती पत्नी की मौत के बाद, रास्ता बंद होने के कारण गुलशन को उसका शव कंधे पर उठाकर 35 किलोमीटर पैदल ले जाना पड़ा।
Jammu and Kashmir: कठुआ जिले की हालिया बारिश ने जहां कई हिस्सों को तबाह कर दिया, वहीं ढग्गर गांव के गुलशन कुमार के लिए यह बारिश जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बनकर आई। गुलशन की गर्भवती पत्नी ऊषा देवी की 24 अगस्त की रात को मौत हो गई। लेकिन असली संघर्ष तो इसके बाद शुरू हुआ—जब गुलशन को अपनी पत्नी का शव गांव तक ले जाने के लिए 35 किलोमीटर पैदल सफर करना पड़ा।
भारी बारिश और भूस्खलन के कारण ढग्गर गांव का सड़क संपर्क पूरी तरह कट गया था। ऐसे में गुलशन ने हिमाचल होते हुए अपने गांव जाने का फैसला किया। रास्ते में कीचड़, फिसलन, पत्थर और बारिश ने बार-बार रोका, लेकिन गुलशन के कदम नहीं रुके। उनके साथ सिर्फ उनका दर्द नहीं था—बल्कि उस प्यार की अंतिम डोर थी जिसे वो आखिरी बार अपने गांव पहुंचाकर पूरा करना चाहते थे।
सोमवार सुबह गुलशन पत्नी का शव लेकर एंबुलेंस से हिमाचल के माश्का पहुंचे। वहां से शव को कंधे पर उठाकर पेपड़ी गांव तक का मुश्किल सफर तय किया। रास्ते में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भी मदद की और शव को कंधा दिया—एक खूबसूरत मिसाल इंसानियत की।
पेपड़ी से गाड़ी के ज़रिए डुग्गन पहुंचे, फिर वहां से 10 किलोमीटर का अंतिम पैदल सफर तय कर ढग्गर पहुंचे। कुल 18 घंटे का यह सफर सिर्फ दूरी नहीं थी—यह एक पति के प्रेम, समाज की संवेदना और सिस्टम की उदासीनता की एक लंबी कहानी थी।
ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ एक शवयात्रा नहीं थी, यह एक व्यक्ति की जीती-जागती पुकार थी—”हमें अच्छे रास्ते चाहिए, समय पर मदद चाहिए और सबसे बढ़कर इंसानियत चाहिए।”