राज्य स्थापना के 23 साल के इतिहास में सिर्फ दो जल विद्युत परियोजनाएं पूरी, सरकार की तमाम कवायदें नाकाफी।

0
50

देहरादून – ऊर्जा प्रदेश के नाम से पहचाने जाने वाले उत्तराखंड की स्थापना के 23 साल के इतिहास में केवल दो जल विद्युत परियोजनाएं ऐसी हैं, जो राज्य बनने के बाद मंजूर हुईं और पूरी हो पाईं। इसके अलावा कोई भी बड़ी जल विद्युत परियोजना धरातल पर शुरू नहीं हो पाई।

सरकार की तमाम कवायदें भी अभी तक नाकाफी नजर आ रही हैं। राज्य बनने के बाद जब एनडी तिवारी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने राज्य में जल विद्युत परियोजनाओं की संभावनाओं को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र की नवरत्न कंपनियों (सीपीएसयू) पर भरोसा जताया। कंपनियों टीएचडीसी, एनटीपीसी, एसजेवीएनएल, एनएचपीसी को 5801 मेगावाट के 22 प्रोजेक्ट बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई, जिनमें से आज तक एक भी प्रोजेक्ट तैयार नहीं हो पाया है।

निजी कंपनियों को 1360 मेगावाट की 33 छोटी परियोजनाएं बनाने की जिम्मेदारी
राज्य के ऊर्जा निगम यूजेवीएनएल को सरकार ने 2535 मेगावाट की 27 बड़ी, छोटी बिजली परियोजनाएं बनाने की जिम्मेदारी दी, जिनमें से मनेरी भाली ही पूरी हो पाई। बाकी जो भी पूरी हुईं, वे पांच से 15 मेगावाट की छोटी परियोजनाएं थीं। इसी प्रकार निजी कंपनियों को 1360 मेगावाट की 33 छोटी परियोजनाएं बनाने की जिम्मेदारी दी गई, जिनमें से कुछेक ही पूरे हो पाईं।

राज्य बनने के बाद एसजेवीएनएल की 60 मेगावाट की नैटवाड़ मोरी परियोजना पूरी हुई, जिसका शिलान्यास 2016 में तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था और लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। यह परियोजना 2005 में सेंक्शन हुई थी और 2023 में पूरी हो पाई।

पर्यावरण, नदियों की जैव विविधता कारण
राज्य में ज्यादातर बिजली परियोजनाएं पर्यावरणीय कारणों से लटकी हुई हैं। करीब 40 परियोजनाओं का निर्माण शुरू करने के लिए सरकार लगातार कोशिश तो कर रही है, लेकिन अभी तक कामयाबी हाथ नहीं लगी। बड़ी परियोजनाएं तो केवल कागजों में ही इतिहास का हिस्सा बनने की कगार पर पहुंच गई हैं।

हर कवायद नाकाफी

जल विद्युत परियोजनाओं को धरातल पर उतारने की हर कवायद अब तक नाकाफी नजर आई है। पहले सरकार ने पुरानी परियोजनाओं को किसी अन्य को बेचने का विकल्प खोला, ताकि नई कंपनी नए सिरे से काम कर सके, लेकिन इसका असर अभी तक नजर नहीं आया। सरकार ने जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए हाइड्रो पावर पॉलिसी बनाई, जिसमें तमाम तरह की छूट दी गई है। इसका भी असर अब तक नजर नहीं आया है। इसके अलावा भी लगातार कई राहत दी जाती रही हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here