नई दिल्ली – सरकार ने कई महीनों के विचार-विमर्श के बाद सोमवार को महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ), कच्चे तेल के उत्पादों, पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले अप्रत्याशित कर (विंडफॉल टैक्स) को खत्म कर दिया। यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है, जिससे तेल निर्यात करने वाली प्रमुख कंपनियों जैसे रिलायंस और ओएनजीसी को राहत मिली है। इस फैसले से इन कंपनियों के सकल रिफाइनिंग मार्जिन में वृद्धि होने की संभावना है।
विंडफॉल टैक्स जुलाई 2022 में वैश्विक कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के कारण उत्पादकों को अप्रत्याशित लाभ के रूप में सरकार द्वारा लगाया गया था, ताकि सरकार को इस लाभ से अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सके। सरकार का यह कदम उन तेल कंपनियों को फायदा पहुंचाएगा, जिन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान और पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच अभूतपूर्व मुनाफे अर्जित किए थे।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर सोमवार दोपहर 1.04 बजे हरे निशान में 1,300.05 रुपये पर कारोबार कर रहे थे, जब सरकार के इस फैसले का असर पड़ा। इसके अतिरिक्त, सरकार ने पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर लगने वाला सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर (आरआईसी) भी वापस ले लिया है। इस संबंध में संसद में एक अधिसूचना भी पेश की गई है।
सितंबर में सरकार ने पहले कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को 1,850 रुपये प्रति टन घटाकर समाप्त करने की घोषणा की थी, और अब डीजल और एटीएफ के निर्यात पर भी इसे समाप्त कर दिया गया है।
इस निर्णय का उद्देश्य तेल कंपनियों के लिए कारोबारी माहौल को और सहज बनाना है, साथ ही सरकार को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति के लिए असाधारण मुनाफे से संबंधित टैक्स को वापस लेना है।
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